जमात उद दावा जैसे कई कट्टरपंथी समूहों के सैंकड़ों लोगों ने इस्लाम विरोधी विवादास्पद फिल्म 'इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान कई कट्टरपंथी नेताओं ने फिल्म के निर्माताओं को कड़ी सजा दिए जाने और अमेरिकी राजनयिकों को देश से बाहर निकाले जाने की मांग की.
प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद ने लाहौर में चौबुर्जी इलाके में फिल्म के खिलाफ करीब 500 लोगों के विरोध प्रदर्शन की अगुवाई की. जेयूडी के प्रमुख सईद ने कहा कि ईशनिंदा करने वाली इस फिल्म का निर्माण मुस्लिमों की भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को फिल्म के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिकी राजदूत को तलब करना चाहिए.
उन्होंने साथ ही अमेरिका को कड़ा संदेश देने के लिए तत्काल अफगानिस्तान को जाने वाले नाटो के आपूर्ति मार्ग को बंद करने की भी मांग की जिसे हाल ही में सात महीने के बंद के बाद खोला गया था.
जेयूडी, जमात ए इस्लामी, सुन्नी तहरीक, जमियत उलेमा ए इस्लाम तथा कई अन्य कट्टरपंथी संगठनों ने इस्लामाबाद, रावलपिंडी और पंजाब के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन किया. जमात ए इस्लामी ने लाहौर में मंसूरा में अपने मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. हालांकि अधिकतर जगहों पर लोगों की संख्या कम थी और प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.
कई मुस्लिम देशों में प्रदर्शनकारियों द्वारा अमेरिकी दूतावासों और राजनयिकों को निशाना बनाए जाने के मद्देनजर संघीय और प्रांतीय सरकारों ने देशभर में और विशेषकर अमेरिकी मिशनों के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे.
सरकार पहले ही इस्लाम विरोधी फिल्म की यह कहते हुए निंदा कर चुकी है कि इसने पाकिस्तानी और दुनियाभर के मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है. कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने फिल्म के निर्माताओं के लिए कड़ी सजा और अमेरिकी राजनयिकों को तत्काल देश से निकाले जाने की भी मांग की. उन्होंने अमेरिकी और इस्राइली झंडों को जूते मारे और उनमें आग लगा दी.
इस्लामाबाद में बड़ी संख्या में लोग जुमे की नमाज के बाद लाल मस्जिद के बाहर एकत्र हुए और फिल्म तथा अमेरिका विरोधी नारे लगाए. मजलिस वहदातुल मुसलमीन के सदस्यों ने अमेरिकी दूतावास की ओर बढ़ने का प्रयास किया लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया. हैदराबाद, मुल्तान तथा स्वात में भी प्रदर्शन हुए.