रूस ने भारत को अश्वासन दिया कि वह उसके दुश्मनों को हथियार नहीं देगा . इसके अलावा भारत आए रूस के उप प्रधानमंत्री दमित्री रोगोजिन ने नए मालवाहक विमान और टैंकों के निर्माण के साथ रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के मास्को की इच्छाओं का भी संकेत दिया .
पूछने पर कि क्या रूस पाकिस्तान को भी हथियार बेचेगा, रोगोजिन ने कहा, ‘‘आपको यह अवश्य समझना चाहिए कि हम आपके दुश्मनों के साथ सौदा नहीं करते. अगर आप इससे अलग कुछ देखते हैं तो मेरे चेहरे पर थूक सकते हैं .’’ उन्होंने कहा कि रूस को भारत को हथियार देने में कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि हमारे संबंधों में कोई विवाद या विरोधाभास नहीं है .उन्होंने कहा कि हमने भारत की सीमाओं पर कभी समस्याएं पैदा नहीं की हैं. यह भारत का मित्र होने का राजनीतिक लाभ है .’’
रूसी नेता ने कहा कि रूस छह टन वजन उठाने वाले माल वाहक विमान और युद्धक टैंकों के निर्माण के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग के लिए तैयार है . संयुक्त रूप से ब्रह्मोष सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सफल निर्माण को रेखंकित करते हुए उन्होंने कहा कि रूस इस क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है और उसे शीर्ष रक्षा उत्पादक बनाना चाहता है.
रोगोजिन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के साथ व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक सहयोग संबंधी अंतर.सरकारी आयोग की सह अध्यक्षता करेंगे. उन्होंने कहा कि चेर्नोबिल हादसे झेलकर हम खतरों से वाकिफ हैं. उसके बाद हमने अत्याधुनिक और उन्नत प्रौद्योगिकी विकसित की जिसकी तुलना दुनिया में उपलब्ध तकनीकों से की जा सकती है. भारत में निर्माणाधीन परमाणु संयंत्र की तकनीक काफी भरोसेमंद है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के पहले दोनों मंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पुतिन के बीच एक नवंबर को होने वाली सालाना शिखर वार्ता के लिए एजेंडा तय करेंगे. कुडनकुलम संयंत्र के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर रोगोजिन ने कहा कि विदेशी कारकों के मुद्दे को हटाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि हम ऐसा संयंत्र तैयार कर रहे हैं जिसमें सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है.
आतंकवाद के ‘‘नए दौर’’ में रूस ने भारत से मांगा सहयोग
अफगानिस्तान से नाटो बलों के 2014 तक हटने की तैयारियों के बीच रूस ने भारत सहित इस क्षेत्र में आतंकवाद के ‘‘नए दौर’’ को लेकर आज आगाह किया और इस ‘‘ आक्रमण ’’ से निबटने के लिए नई दिल्ली से सहयोग करने का आह्वान किया.
भारत की यात्रा पर आए रूसी उप प्रधानमंत्री दमित्री रोगोजिन ने कहा कि नाटो बलों के हटने की स्थिति में अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि विदेशी बलों के देश से बाहर जाने की स्थिति में हजारों आतंकवादी और चरमपंथी शरण ले लेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘ हजारों आतंकवादी और चरमपंथी अफगानिस्तान तथा पास के देशों में शरण लेने का प्रयास करेंगे.
इससे क्षेत्र में खासकर तजाकिस्तान, कजाखस्तान और मध्य एशिया की स्थिति में व्यापक पर्वितन हो सकता है. यह भारत और रूस दोनों के लिए बड़ी समस्या है.’’ रूसी नेता ने कहा, ‘‘ ऐसे में हमें राजनीतिक और सुरक्षा निगरानी के साथ स्थिति पर नियंत्रण करना होगा और हमें गौर करना होगा कि आतंकवाद के नए चरण के आक्रमण को रोकने के लिए हम साथ मिलकर क्या कर सकते हैं. ’’ उन्होंने कहा कि नाटो अफगानिस्तान में जीत का दावा नहीं कर रहा है बल्कि सिर्फ कामयाबी की बात कर रहा है.