आयरलैंड में एक भारतीय दंत चिकित्सक की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए राजनीतिक दलों ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन का हनन बताया है वहीं डेंटिस्ट के माता-पिता ने अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है.
दिल्ली कैथलिक आर्कडियोसेस ने कहा कि मां की जान जोखिम में नहीं डाली जानी चाहिए थी हालांकि गर्भपात उनके लिए पूरी तरह वर्जित है.
31 वर्षीय सविता हलप्पानवार की पिछले महीने आयरलैंड में उस समय रक्त में संक्रमण के कारण मौत हो गई थी जब डाक्टरों ने 17 सप्ताह के गर्भ को यह कहते हुए गिराने से मना कर दिया था कि ‘यह कैथलिक देश है.’
दिल्ली कैथलिक आर्कडियोसेस के प्रवक्ता रेव एफ डोमिनिक इमेनुअल ने कहा, ‘जब मां की जान खतरे में हो तो उसकी जान बचाई जाए और मां को बचाते हुए अगर गर्भाशय में बच्चे को कुछ होता है तो उसके लिए डॉक्टर या मां को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए क्योंकि उनका इरादा जिंदगी बचाना था नाकि खत्म करना.’
उन्होंने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि इरादा जिंदगी बचाने का होना चाहिए.’ सविता के माता.पिता ने अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग करते हुए कहा कि गर्भपात को लेकर आयरलैंड के नियमों में बदलाव होना चाहिए.
सविता की मां ने कहा, ‘मानवीयता के बिना केवल नियमों पर चलने का क्या फायदा? उन्होंने भ्रूण को बचाने के लिए मेरी बच्ची को मार दिया. केवल एक मां इस दर्द को समझ सकती है.’ सविता के पिता ने सरकार से उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
राजनीतिक दलों ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन का मामला बताते हुए मांग की कि सरकार को विदेश मंत्रालय को निर्देश देना चाहिए कि आयरिश सरकार से इस मामले में कार्रवाई करने और परिवार को न्याय दिलाने के लिए कहा जाए.
वरिष्ठ माकपा नेता वृंदा करात ने घटना को अपराध करार देते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की.
वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष स्मृति ईरानी ने विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को इस मामले में पत्र लिखा है.
ऑल इंडिया कैथलिक यूनियन के सदस्य जॉन दयाल ने कहा कि सविता की मौत ने गर्भपात के मुद्दे पर और कैथलिक चर्च के विचारों को लेकर लंबे समय से चल रही बहस को फिर से छेड़ दिया है.
उन्होंने कहा, ‘चर्च इसलिए गर्भपात का विरोध करता है क्योंकि भ्रूण एक मानव जीवन है.’