राष्ट्रपति बराक ओबामा और रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी के बीच व्हाइट हाउस की लंबी और कठिन लड़ाई इतिहास बनने की ओर अग्रसर है. यदि रोमनी जीतते हैं तो वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी राष्ट्रपति को सत्ता से बाहर करने वाले चौथे प्रतिद्वंद्वी और व्हाइट हाउस पर कब्जा करने वाले पहले मोरमन बन जाएंगे.
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रोमनी से पहले यह इतिहास बनाने वालों में 1976 में गेराल्ड फोर्ड को हराने वाले डेमोक्रेट जिम्मी कार्टर, कार्टर को 1980 में परास्त करने वाले रिपब्लिकन रोनाल्ड रीगन और जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश को 1992 में पराजित करने वाले डेमोक्रेट बिल क्लिंटन शामिल हैं. यदि ओबामा दुनिया की इस सबसे ताकतवर सत्ता को बरकरार रखने में सफल होते हैं, तो वह अपनी खराब अर्थव्यवस्था के बावजूद चुनाव जीतने वाला एक अनोखे राष्ट्रपति बन जाएंगे. ओबामा-रोमनी की जंग शुरू होने से पहले दोनों को प्राइमरी चुनावों से गुजरना पड़ा था, जहां डेमोक्रेट्स या रिपब्लिकन और निर्दलीय के रूप में पंजीकृत मतदाताओं ने प्रत्येक राज्य में अपनी पार्टी का उम्मीदवार का चुनाव किया था.
अभी चुनावों को लेकर चिंता नहीं: बराक ओबामा
अधिकांश राज्यों में केवल खास पार्टी के पंजीकृत मतदाता ही इस चुनाव में वोट दे सकते हैं, लेकिन कुछ अन्य राज्य ऐसे भी हैं, जहां खुली प्राइमरियां हैं और वहां पार्टी की सम्बद्धताओं से परे कोई भी वोट दे सकता है. लेकिन भारतीय पार्टी व्यवस्था के विपरीत यहां पार्टी हाईकमांड की उम्मीदवार चयन के मामले में कोई भूमिका नहीं होती. रोमनी अप्रैल 2011 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हुए थे. लेकिन इस वर्ष 28 अगस्त को वह अंतिम रूप से पार्टी की उम्मीदवारी हासिल कर पाए. इस दौरान उन्हें कई प्राइमरियों और काकसों में अपनी ही पार्टी के महारथियों से मुकाबला करना पड़ा था.
मौजूदा राष्ट्रपति होने के नाते डेमोक्रेट उम्मीदवार के रूप में ओबामा की दावेदारी व्यापक तौर पर निर्बाध रही. परंतु उन्हें भी डेमोक्रेट उम्मीदवार बनने के लिए सभी 50 राज्यों में प्राइमरी और काकस की उम्मीदवारी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ा था. इसके बाद मुख्य मुकाबले में प्रतिद्वंद्वियों को एक समान पक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है. लेकिन प्राइमरियों के उलट सभी राज्यों में एक ही दिन मतदान होता है और वह दिन हमेशा किसी अधिवर्ष में पहले सोमवार के बाद का मंगलवार ही होता है.