चीन में निर्विघ्न सत्ता परिवर्तन के तहत उप राष्ट्रपति शी चिनफिंग को देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का नया महासचिव नियुक्त किया गया जिसके साथ ही राष्ट्रपति हू जिन्ताओ का 10 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया. अब पांचवी पीढ़ी के नेता अगले दशक में विश्व की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की कमान संभालेंगे.
अब तक उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन 59 वर्षीय चिनफिंग बतौर राष्ट्रपति मार्च में हू का स्थान लेंगे जबकि 57 वर्षीय ली क्विंग प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ का स्थान लेंगे.
सीपीसी का नया महासचिव नियुक्त होने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज दिख रहे चिनफिंग ने आयोजन के दौरान एक विशेष मंच पर कदम रखा और स्थानीय और विदेशी मीडिया के सामने पांचवी पीढी़ के छह अन्य नेताओं का परिचय कराया.
सीपीसी प्रमुख नियुक्त होने के बाद शी ने अपने भाषण में कहा कि भ्रष्टाचार और पार्टी पदाधिकारियों का लोगों से अलग हो जाना देश के समक्ष मुख्य समस्याएं हैं.
उन्होंने कहा, ‘नई स्थितियों में हमारी पार्टी कई चुनौतियों से जूझ रही है और पार्टी में कई ऐसी ज्वलंत समस्याएं हैं जिनके हल की आवश्यकता है खासकर भ्रष्टाचार, लोगों से अलग हो जाना. कुछ पार्टी पदाधिकारियों का औपचारिकताओं और नौकरशाही पर जयादा बल देने से ऐसा हुआ है. हमें इन समस्याओं का हल करने के लिए हर प्रयास करना चाहिए.’
शी चिनफिंग को 23 लाख सैन्यकर्मियों वाली विश्व की सबसे बड़ी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का प्रमुख भी नामजद किया है जिसके साथ ही नये नेता को दुनिया के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राष्ट्र चलाने की पूरी आजादी मिल जाएगी.
एक आधिकारिक घोषणा में बताया गया कि शी सेंट्रल मिल्रिटी कमीशन के भी प्रमुख होंगे. यह कमीशन दुनिया की सबसे बड़ी सेना का नियंत्रण करता है. हु को सीपीसी प्रमुख बनने के दो साल बाद तक सर्वोच्च सैन्य पद पर कबिज होने के लिये इंतजार करना पड़ा था. पार्टी के महासचिव के पद से हटने के बाद भी च्यांग चेमिन मिल्रिटी कमिशन के प्रमुख के पद पर काबिज रहे थे.
हु का मानना है कि सेवानिवृत होने वाले नेताओं की मौजूदा प्रशासन में कोई सक्रिय भूमिका नहीं होनी चाहिये और नये नेतृत्व को नीतियां तय करने की आजादी दे जानी चाहिये.
पूर्व राष्ट्रपति च्यांग चेमिन सप्ताह भर चले 18 वें पार्टी कांग्रेस में उद्घाटन एवं समापन दोनों कार्यक्रमों में केंद्र में रहे और वह हू और वेन के बीच बैठे थे.
सीपीसी की सर्वशक्तिशाली पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के अन्य सदस्य झांग डिजियांग, यू जेंगशेंग, लियू यूनशान, वांग किशान और झांग गवाली हैं.
उधर नये नेता शी सत्ता से जुड़ाव का लाभ उठाते हुए बड़ी सतर्कता से बढ़े. एक ग्राम मुखिया से राष्ट्रीय स्तर के नेता पद तक पहुंचने का उनका सफर कोई बहुत मुश्किल भरा नहीं रहा है. वह ‘खानदानी’ कम्युनिस्ट हैं और उनके पिता शी जोंगशुन देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री थे.
शी के पिता देश के उप प्रधानमंत्री रह चुके हैं और कहा जाता है कि पार्टी संस्थापक माओत्से तुंग ने उन्हें काफी परेशान किया था. उनके पिता शी जोंगशुन 1959 से 1962 तक देश के उप प्रधानमंत्री पद पर रहे थे और अपने उदारवादी विचारों को लेकर उनकी माओ से ठन गयी थी. बताया जाता है कि उन्हें कुछ समय तक जेल में भी कैद करके रखा गया था.
चीन के प्रतिष्ठित त्सिंघुहा विश्वविद्यालय से रासायनिक अभियांत्रिकी में स्नातक शी एक प्रसिद्ध चीनी लोक गायिका पेंग लियुआन से शादी करने के बाद चीन भर में लोकप्रिय हो गए थे जो 1980 के दशक में बेहद लोकप्रिय थीं.
कम्युनिस्ट पार्टी की शंघाई इकाई में बतौर सचिव उनकी सफल पारी रही थी और वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक के अच्छी तरह आयोजन को लेकर उनकी खूब सराहना हुई थी.
कई अन्य चीनी नेताओं की भांति शी भी पहेली बने हुए हैं क्योंकि उनके विचारों और उपलब्धियों के बारे में बहुत कम जानकारी है. शी और उनकी टीम के समक्ष जो चुनौतियां हैं उनमें देश की अर्थव्यवस्था में फिर से संतुलन कायम करना है ताकि देश के उद्योग धंधे निर्यात के बजाय घरेलू मांग पर निर्भर हो. हालांकि घटते निर्यात के चलते अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 7.4 फीसदी रह गयी है जबकि लक्ष्य 7.5 फीसदी थी.
लेकिन पार्टी पदाधिकारियों को संकट से उबर जाने का पूरा विश्वास है क्योंकि देश के पास 3200 अरब डालर का विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार और पर्याप्त नकद है जिससे वह अगले साल वृद्धिदर में जान फूंक सकता है.
घरेलू स्तर पर भी जातीय रूप से अल्पसंख्यक क्षेत्र तिब्बत और झिनजियांग तनाव में हैं क्योंकि वहां चीन शासन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. दलाईलामा की भारत में निर्वासन से वापसी की मांग को लेकर तिब्बत में प्रदर्शन तेज हुआ है.
उधर चीन ने तेजी पकड रहे पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट पर नियंत्रण पाने के लिए उग्यूर मुस्लिम के मूल क्षेत्र झिनिजयांग में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं.
‘एक पुत्र नीति’ के चलते बुर्जुगों की बढ़ती तादात तथा अमीरों एवं गरीबों के बीच बढ़ती खाई नये नेतृत्व के समक्ष बड़ी चुनौती के रूप में अन्य बड़े मुद्दे हैं.
हू ने भी पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार को मुख्य समस्या माना है और उस पर काबू पाने का आह्वान किया अन्यथा (उनके अनुसार) देश का पतन हो सकता है.