अमेरिका ने शुक्रवार को कहा कि भारत के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का एक पूर्ण सदस्य बनने का 'आगे का एक रास्ता' साल के अंत तक है. अमेरिका ने यह बात सोल में एनएसजी की एक पूर्ण बैठक खत्म होने के कुछ घंटे बाद कही, जिसमें चीन नीत विरोध के मद्देनजर भारत की सदस्यता के बारे में कोई निर्णय नहीं हो सका.
भारत की सदस्यता को लेकर करना होगा काम
ओबामा प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'हमें पूरा भरोसा है कि हमारे सामने इस साल के अंत तक आगे का एक रास्ता है.' अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, 'इसके लिए कुछ काम करने की जरूरत है. हालांकि हमें इस बात का भरोसा है कि साल के आखिर तक भारत (एनएसजी) व्यवस्था का एक पूर्ण सदस्य होगा.'
अमेरिका को है पूरी उम्मीद
अधिकारी ने 48 सदस्यीय समूह के बीच भारत की सदस्यता को लेकर हुई चर्चाओं एवं विरोध की जानकारी का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि आंतरिक चर्चाओं की जानकारी गोपनीय है. अधिकारी ने कहा कि हालांकि अमेरिका का भारत की एनएसजी की सदस्यता को लेकर दृढ़ विश्वास है तथा ओबामा प्रशासन ने इस मुद्दे पर भारत एवं अन्य देशों के साथ 'नजदीकी तौर पर काम किया है.'
एमटीसीआर में भी चर्चा के बाद हुई थी भारत की एंट्री
अधिकारी ने चर्चाओं की जानकारी दिए बिना प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में हुई इसी तरह की चर्चा का उल्लेख किया जिसमें भारत को उसके सदस्य देशों के बीच कई महीने की चर्चा के बाद इस महीने के शुरू में शामिल किया गया था. एनएसजी की तरह ही एमटीसीआर में भी निर्णय सहमति से किए जाते हैं.
NSG में भारत की सदस्यता पर फिर गया था पानी
अधिकारी ने कहा, 'हमें उस भूमिका पर एक निर्णय की उम्मीद थी जो भारत निभाएगा.' अधिकारी ने जोर देकर कहा, 'हम इस हफ्ते चर्चा खत्म कर पाएं और हमारे सामने भारत के एक पूर्ण सदस्य बनने के लिए साल के अंत तक एक आगे का रास्ता है.' यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका उम्मीद करता है कि भारत को एनएसजी की सदस्यता इस साल के आखिर तक हासिल हो सकेगी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने दोहराया, 'यह हमारी उम्मीद है.' अधिकारी ने कहा, 'हमारी उम्मीद है कि यह इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा.' एनएसजी की पूर्ण बैठक सोल में खत्म हुई जिसमें भारत की सदस्यता के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया.
चीन ने भारत की सदस्यता में अड़ाई टांग
चीन ने भारत की एनएसजी की सदस्यता के दावेदारी के अपने विरोध को गोपनीय नहीं रखा. हालांकि उसने भारत के पास पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद उसकी सदस्यता की दावेदारी को रोक दिया. भारतीय अधिकारियों के अनुसार 38 देशों ने भारत का समर्थन किया.