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यूपी के हालात सीरिया और इराक की तरहः अमेरिका

अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में उत्तर प्रदेश की तुलना इराक और सीरिया से की है. वहां तैयार एक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की इस बात के लिए निंदा की गई है कि उसने धर्म और असहनशीलता के आधार पर हो रहे भेदभाव को मिटाने की कोई कोशिश नहीं की.

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उत्तर प्रदेश
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अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में उत्तर प्रदेश की तुलना इराक और सीरिया से की है. वहां तैयार एक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की इस बात के लिए निंदा की गई है कि उसने धर्म और असहनशीलता के आधार पर हो रहे भेदभाव को मिटाने की कोई कोशिश नहीं की. यह खबर एक अंग्रेजी पत्र ने दी है.

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अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी 2103 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में यह बात कही गई है. 16 साल से यह रिपोर्ट जारी हो रही है और इसमें बताया जाता है कि कैसे और कहां धार्मिक स्वतंत्रता की उपेक्षा की गई और कहां उसकी रक्षा की गई. इस रिपोर्ट को अमेरिकी कांग्रेस की स्वीकृति मिली हुई है. यह दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों के लिए तैयार की जाती है.

ताजा रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की तुलना सीरिया, बांग्लादेश, श्रीलंका और इराक से की गई है और कहा गया है कि धर्म के आधार पर भेदभाव का मुकाबला करने में सरकार की असफलता से एक ऐसा माहौल तैयार हुआ है जिसमें असहनशील तथा हिंसक गुटों के हौसले बुलंद हो गए हैं. वे दूसरे धर्मों के लोगों पर शारीरिक हमले करने लगे हैं. रिपोर्ट में सरकार की आलोचना करते हुए कहा गया है कि सरकार कमजोर अल्पसंख्यकों की रक्षा में असफल रही. वे बुरी तरह प्रभावित हुए और शरणार्थी बन गए.

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भारत के अन्य राज्यों की बजाय उत्तर प्रदेश का मामला अलग बताते हुए इस अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरनगर में पिछले साल अगस्त-सितंबर में हिन्दू और मुस्लिम समुदायों में दंगे हुए. जिसमें 65 लोग मारे गए, 68 जख्मी हुए और 40 से 50 हजार लोग विस्थापित हो गए. ये दंगे छेड़छाड़ की एक घटना से शुरू हुई और सरकार ने 7 सितंबर को लोगों की हिंसक भीड़ जमा होने दी. स्थानीय सरकार ने धार्मिक नेताओं तथा राजनीतिज्ञों के आह्वान को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया. जिसके चलते हिंसा हुई.

इसके उलट उत्तर प्रदेश सरकार अपने राज्य में हो रहे दंगे-फसाद के बारे में रिपोर्टों का खंडन करती रही है और कहती है कि इन मामलों की तादाद उतनी नहीं है जितनी बताई जा रही है.

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