अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashrag Ghani) ने देश छोड़ दिया. सोमवार सुबह भारत में मौजूद अफगान दूतावास (Afghan Embassy) के ट्विटर अकाउंट से अशरफ गनी के देश छोड़ने की आलोचना की गई और उन्हें 'गद्दार' बताया गया. इसके बाद एम्बेसी के प्रेस सेक्रेटरी अब्दुलहक आजाद ने ट्विटर अकाउंट हैक होने का दावा किया.
असल में सोमवार सुबह भारत में अफगान दूतावास के ट्विटर अकाउंट (Afghan Embassy India) से एक ट्वीट किया गया. इसमें राष्ट्रपति अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़कर जाने की आलोचना की गई. लिखा गया, "अशरफ गनी भाग गए हैं. उन्होंने सब बर्बाद कर दिया. हम सभी से माफी मांगते हैं कि हमने एक भगोड़े की सेवा की. अल्लाह ऐसे गद्दार को सजा दे. उनकी विरासत हमारे इतिहास पर धब्बा होगी."
इस ट्वीट के बाद अफगान एम्बेसी के प्रेस सेक्रेटरी अब्दुलहक आजाद ने ट्विटर अकाउंट हैक होने का दावा किया. उन्होंने अपने पर्सनल ट्विटर अकाउंट से इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, "मैं अफगान एम्बेसी के ट्विटर हैंडल को एक्सेस नहीं कर पा रहा हूं. एक दोस्त ने मुझे ये स्क्रीनशॉट भेजा. मैंने लॉग इन करने की कोशिश की, लेकिन एक्सेस नहीं कर सकता. ऐसा लगता है कि इसे किसी ने हैक कर लिया है." अब्दुलहक ने ये भी दावा किया कि वो अफगान एम्बेसी के ट्वीट को भी नहीं देख पा रहे हैं.
I have lost access to Twitter handle of @AfghanistanInIN, a friend sent screen shot of this tweet, (this tweet is hidden from me.) I have tried to log in but can’t access. Seems it is hacked. @FMamundzay @FFazly @hmohib pic.twitter.com/kcdlGMpCZ7
— Abdulhaq Azad (@AbdulhaqA) August 16, 2021
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कहां गए राष्ट्रपति गनी, नहीं पता
रविवार को तालिबान ने काबुल (Kabul) पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है. वो कहां गए हैं, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि वो ताजिकिस्तान गए हैं.
देश छोड़ने के बाद गनी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'आज मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया कि या तो मुझे हथियारों से लैस तालिबान का सामना करना चाहिए जो महल में घुसना चाहता था या फिर अपने प्यारे मुल्क जिसकी बीते 20 सालों में सुरक्षा के लिए मैंने अपनी ज़िंदगी खपा दी उसे छोड़ दूं.'
उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती. खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है.
(इनपुटः राजेश सुंदरम)