
पहले तालिबान ने काबुल पर कब्जा करके दुनिया को चौंकाया फिर अपनी अंतरिम सरकार की कैबिनेट में कुख्यात आतंकियों को जगह देकर. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही पड़ोसी पाकिस्तान एक्टिव नजर आ रहा है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ काबुल में डेरा डाले हैं तो वहीं पंजशीर पर पाकिस्तानी युद्धक विमानों से हवाई हमले के आरोप भी लगते रहे हैं.
तालिबान के पाक कनेक्शन को लेकर अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. तालिबान की कैबिनेट मोस्ट वांटेड इंटरनेशनल आतंकियों से मिलकर बनी है. संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल आतंकियों की लिस्ट में शामिल मुल्ला मुहम्मद हसन अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री हैं तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल मुल्ला बरादर डिप्टी पीएम हैं. अमेरिका में 73 करोड़ का इनामी आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी आंतरिक मामलों का मंत्री है तो तालिबान के सबसे बड़े आतंकी का बेटा मुल्ला याकूब अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान की इस आतंकी कैबिनेट के पांच मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तान के पेशावर के हक्कानिया मदरसे से पढ़कर निकले हैं. ये कोई साधारण मदरसा नहीं है बल्कि एक महत्वपूर्ण मदरसा है जहां शैक्षणिक परंपरा का पालन करने के साथ-साथ इसने अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण के बाद से राजनीति और सैन्य रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सूत्रों की मानें इस मदरसे को पाकिस्तान की 'जेहादी यूनिवर्सिटी' भी कहते हैं. इस मदरसे का नाम है जामिया दारुल उलूम हक्कानिया अकोड़ा खटक जो पाकिस्तान के मशहूर शहर पेशावर के पास है. बताया जा रहा है कि तालिबान की आतंकी कैबिनेट के पांच मंत्री इसी मदरसे से पढ़कर निकले हैं. उन 5 मंत्रियों के नाम हैं- मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर (पानी और बिजली मंत्री), मौलाना अब्दुल बाकी (उच्च शिक्षा मंत्री), नजीबुल्लाह हक्कानी (सूचना प्रसारण मंत्री), मौलाना नूर मोहम्मद साकिब (हज मंत्री) और अब्दुल हकीम सहराई (न्याय मंत्री).
अकोड़ा खटक में है ये मदरसा
ये मदरसा पेशावर से इस्लामाद जाने वाले जीटी रोड पर अकोड़ा खटक में स्थित है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के पूर्व प्रमुख मौलाना समी-उल-हक की वजह से ये मदरसा और भी ज्यादा मशहूर हुआ. मौलाना समी-उल-हक को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तालिबान का जनक कहा जाता रहा है. मौलाना समी-उल-हक की 2018 में हत्या हो गई थी. समी कश्मीर के लिए भी जहर उगलता था. अफगान तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम भी दारुल उलूम हक्कानिया से पढ़ा है और इसके बाद इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद से पीएचडी भी की है. अफगान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद में पढ़ाई की है.
फंड देती है इमरान खान की पार्टी
बताया जाता है कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ इस मदरसे को फंड जारी करती है. इस मदरदसे की सच्चाई ये है कि ये आतंकवाद और धार्मिक राजनीतिक आंदोलनों को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाता है इसीलिए इसे जेहादी यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है. मौजूदा समय में अफगानिस्तान सरकार, शूरा और संस्थानों में बहुत सारे ऐसे लोग शामिल हैं जो इस मदरसे से निकलकर पहुंचे हैं. सूत्रों की मानें तो अफगानिस्तान में तालिबान की पहली सरकार में भी जामिया हक्कानिया के कई लोग शामिल थे जिन्होंने सोवियत संघ के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाई थी.