अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान एक ओर सरकार बनाने की कवायद में जुटा है तो दूसरी ओर उसकी ओर से कई गुटों से बातचीत भी की जा रही है. पंजशीर में इस्लामिक अमीरात और रेसिस्टेंस फ्रंट के बीच सीधी बातचीत शुरू हो गई है.
रेसिस्टेंस फ्रंट और इस्लामिक अमीरात के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल अहमद मसूद के साथ अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और भविष्य की सरकार पर चर्चा करने के लिए आज मंगलवार को पंजशीर गया है.
इससे पहले अफगानिस्तान के कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amarullah Saleh) ने आज मंगलवार को पंजशीर के हालात पर आजतक से खास बातचीत में कहा कि तालिबान जो दावा कर रहा है कि उसने पंजशीर के कुछ हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया है, वह बिल्कुल गलत है. हम पूरी तरह नियंत्रण में हैं. पंजशीर के लोगों का जोश पूरी तरह से हाई लेवल पर है.
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कार्यकारी राष्ट्रपति सालेह ने कहा कि पंजशीर के लोग तालिबान के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं हैं. हम हर तरह की बातचीत को तैयार हैं. हम अपने इलाके में शांति चाहते हैं. लेकिन अगर तालिबान लड़ाई चाहता है, तो हम लड़ने के लिए भी तैयार हैं.
अफगानिस्तान को तालिबिस्तान नहीं बनने देंगेः सालेह
कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने यह भी कहा कि अहमद मसूद इस वक्त अपने पिता की तरह तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं, हर कोई उसके साथ खड़ा है. मैं भी यहां पर मौजूद हूं, हर कोई यहां पर एकजुट है. हमने सबकुछ तालिबान के ऊपर छोड़ दिया है, अगर वो जंग चाहेंगे तो जंग होगी और वो बातचीत चाहेंगे तो शांति के साथ बातचीत होगी.
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे लोगों को खुलकर जीने का मौका मिले, हम अफगानिस्तान को तालिबिस्तान नहीं बनना देना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान के लोगों को उनकी बात कहने का मौका मिले, ये सब तानाशाही में नहीं हो सकता है.
अमरुल्ला सालेह भी इस वक्त पंजशीर में ठहरे हुए हैं. वह अहमद मसूद की अगुवाई में नॉर्दर्न एलायंस के साथ मिलकर तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं. अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद सालेह ने खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर रखा है.
दूसरी ओर, अमेरिका की खुफिया एजेंसी (सीआईए) के प्रमुख विलियम बर्न्स ने काबुल में तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के साथ गोपनीय मुलाकात की है. 'द वॉशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से मुलाकात का दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह गोपनीय मुलाकात सोमवार को हुई.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद से जो बाइडन प्रशासन और तालिबान के बीच ये सबसे शीर्ष स्तर की बैठक मानी जा रही है. अमेरिका अफगानिस्तान में फंसे हजारों लोगों को निकालने की कोशिश में लगा हुआ है. हालांकि, तालिबान ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका को हर हाल में 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाना होगा.
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