अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो चुके तालिबान ने कश्मीर को लेकर अनर्गल बयानबाजी की है. दुनियाभर में धार्मिक कट्टरता और आतंक के लिए कुख्यात तालिबान को अब कश्मीर की चिंता सता रही है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार उसे है.
तालिबान के प्रवक्ता ने बीबीसी से एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मुसलमान के तौर पर हमें भारत के कश्मीर या किसी अन्य देश में मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. हम अपनी आवाज उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग हैं, आपके देश के नागरिक हैं. वे आपके यहां के कानून के हिसाब से समान हैं.
तालिबान का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है कि वहां अधिकांश अल्पसंख्यक देश छोड़कर जा चुके हैं. अफगानी अमन पंसद मुस्लिमों ने भी बड़ी संख्या में अपने देश से पलायन कर लिया है. तालिबान से लड़ाई में जिन लोगों ने अमेरिका की मदद की थी, उन्हें भी तालिबान का डर सता रहा है. ज्यादातर लोगों ने दूसरे देशों में शरण ली है, या वहां से भागने की कोशिशों में जुटे हैं.
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तालिबान की है कश्मीर पर नजर!
कश्मीर पिछले चार दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े विवाद की केंद्रभमि रहा है. PoK पर कब्जे के बावजूद पाकिस्तान इस पर अपना अवैध दावा करता रहा है. जबसे पाकिस्तान समर्थित तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और भारत में कई लोगों को डर है कि तालिबान की नजर जम्मू-कश्मीर पर हो सकती है. तालिबानियों को पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई का साथ मिल सकता है.
तालिबान का सहयोगी है पाकिस्तान!
इससे पहले, पाकिस्तानी टीवी पर एक बहस के दौरान पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीटीआई की प्रवक्ता नीलम इरशाद शेख ने कहा था कि तालिबान ने कहा है कि वे हमारे साथ हैं और वे कश्मीर को आजाद कराएंगे. हालांकि पाकिस्तान में भी उनके इस बयान की आलोचना हो गई थी. कश्मीर पर भारत के इरादे बेहद साफ हैं कि किसी भी बाहरी ताकत को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
तालिबान की हर हरकत पर देश की नजर
वहीं भारत की अफगानिस्तान में तालिबान की हर हरकत पर नजर है. बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तालिबान पर करीब 3 घंटे तक मंथन किया. गृहमंत्री अमित शाह भी इस बैठक में मौजूद रहे. जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा पर भी भारत की नजर है. सीमाओं पर पहले की तरह ही सैनिकों और सुरक्षाबलों की तैनाती है. ऐसे में किसी भी तरह के घुसपैठ की गुंजाइश कश्मीर में नहीं है.