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अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई में बनी अफगानिस्तान की निर्वासित सरकार, तालिबान को चुनौती

अफगानिस्तान पर किए गए तालिबान के कब्जे को चुनौती देने के लिए निर्वासित सरकार बनाई गई है. इस सरकार की अगुवाई अमरुल्लाह सालेह कर रहे हैं, जो अशरफ गनी की सरकार में उप-राष्ट्रपति थे.

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अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई में निर्वासित सरकार (फाइल फोटो)
अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई में निर्वासित सरकार (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान की नई निर्वासित सरकार का गठन
  • अमरुल्लाह सालेह कर रहे हैं सरकार की अगुवाई

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को चुनौती देने के लिए अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई में निर्वासित सरकार का गठन किया गया है. अशरफ गनी प्रशासन में उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह इस निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति बनाए गए हैं. अमरुल्ला सालेह अभी तक नॉर्दर्न एलायंस के साथ मिलकर पंजशीर से तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे. 

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स्विट्ज़रलैंड में अफगानिस्तान की एंबेसी द्वारा नई निर्वासित सरकार के गठन की जानकारी साझा की गई है. बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान से जुड़े हर मसले को लेकर सिर्फ यही सरकार मान्य होगी. तालिबान की सरकार को लेकर बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान की सरकार को कोई बाहरी फोर्स नहीं कब्जा सकती हैं. 

साथ ही कहा गया है कि इस निर्वासित सरकार का गठन लंबे परामर्श के बाद किया गया है, ताकि तालिबान को चुनौती दी जा सके. निर्वासित सरकार अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई में काम करेगी, यह न्यायपालिका, कार्यपालिका को अपने साथ काम लेकर चलेगी. 

तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर ने लड़ी थी लड़ाई

आपको बता दें कि अशरफ गनी जब काबुल से चले गए थे, तब तालिबान ने राष्ट्रपति पैलेस पर कब्जा कर लिया था और अफगानिस्तान उसके कब्जे में आ गया था. उस वक्त अमरुल्ला सालेह ने अहमद मसूद के साथ मिलकर तालिबान को पंजशीर से चुनौती दी थी. 

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हालांकि, बाद में तालिबान ने पंजशीर में ही कब्जा करने का दावा किया. यहां पर लंबे वक्त तक दोनों गुटों के बीच मुठभेड़ भी हुई. तब के बाद से अबतक तालिबान अपनी अंतरिम सरकार बना चुका है और दुनिया के अलग-अलग देशों से संबंध बनाने की कोशिश में है. 

 

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