पैरा ओलंपिक की तैयारी कर रहे अफगानिस्तान के एथलीटों और खिलाड़ियों की उम्मीदें तब धराशायी हो गयी जब 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया. अफगानिस्तान के पैरा ओलंपियन चार साल से खेलों के इस कुंभ में अपनी क्षमता दिखाने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब 15 अगस्त को काबुल में तालिबानी आतंकियों का प्रवेश हुआ तो उन्होंने काबुल एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया. देश से बाहर जाने वाली सभी फ्लाइट रद्द कर दी गईं. मजबूरी में अफगानिस्तान के पैरा ओलंपियन को इस प्रतिस्पर्द्धा से अपना नाम वापस लेना पड़ा.
लेकिन अब अफगानिस्तान के पैरा ओलंपियन की भावनाओं का सम्मान करते हुए अंतरराष्ट्रीय पैरा ओलंपिक कमेटी (IPC) के प्रमुख एंड्रयू पार्सन ने कहा है कि अफगानी खिलाड़ियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में अफगानिस्तान का झंडा बिना वहां के खिलाड़ियों के लहराएगा. बता दें कि पैरा ओलंपियन उन खिलाड़ियों को कहते हैं जिनकी शारीरिक रचना चुनौतीपूर्ण होती है.
टोक्यो पैरा ओलंपिक की शुरुआत मंगलवार को हो रही है. IPC के प्रमुख पार्सन ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग के प्रतिनिधि टोक्यो नेशनल स्टेडियम में अफगानिस्तान के झंडे को लेकर चलेंगे. उन्होंने कहा, "हमलोग अफगानिस्तान के झंडे को कार्यक्रम में शामिल करेंगे, ऐसा हमने अफगानिस्तान के खिलाड़ियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किया है, हमने अफगानिस्तान का ध्वज उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी प्रतिनिधियों को बुलाया है.
बता दें कि अफगानिस्तान की ताइक्वंडो खिलाड़ी जकिया खुदाददी अपने देश की पहली महिला पैरा एथलीट थीं जो कि अपनी साथी हुसैन रसूली के साथ अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाली थीं. लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद उनके अरमानों पर पानी फिर गया.