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अफगानिस्तान में हालात बेकाबू होने की वजह से भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है. भारत ने अफगानिस्तान में रहने वाले भारतीयों के लिए घर वापसी का अलर्ट और दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. क्योंकि पिछले एक हफ्ते में तालिबान ने एक के बाद एक कई शहरों पर कब्जा कर लिया है.
ऐसी खबरें हैं कि तालिबान को पाकिस्तान का भरपूर साथ मिल रहा है. पाकिस्तान के 20 हज़ार लड़ाके तालिबान की मदद के लिए भेजे गए हैं और इसमें आईएसआई (ISI) का भी हाथ है. अफगानिस्तान के हालात से पूरे मध्य एशिया में खलबली मची हुई है.
जुलाई में अफगानिस्तान के सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की तरफ से लगातार निर्देश दिये जा रहे हैं. ISI द्वारा अफगानिस्तान में तालिबानी और पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत के बनाए प्रतिष्ठान और संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए कहा जा रहा है.
वहीं, पाकिस्तानी सेना और ISI आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ तालिबानी लड़ाकों को हथियार मुहैया करवा रही है. अफगानिस्तान से सटे इलाकों में पाकिस्तानी सेना के अस्पतालों में तालिबान के घायल कमांडरों का इलाज किया जा रहा है. ये पाकिस्तान और तालिबान की घनिष्ठ मित्रता के वो संकेत हैं, जिनका जिक्र अफगानिस्तान विश्व मंच पर कुछ समय से करता आया है.
20,000 से ज्यादा लड़ाके अफगानिस्तान पहुंचाए
अब एक बार फिर अफगानिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ये बताया है कि तालिबान और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने मदरसों से 20,000 से ज़्यादा लड़ाके अफगानिस्तान पहुंचाए हैं. तालिबान के संबंध अल कायदा और दूसरे कट्टरपंथी संगठनों से भी हैं. ऐसे में अफगान सैनिकों की लड़ाई कम से कम 13 आतंकवादी संगठनों से है. संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसकजई ने तो यहां तक कह दिया है कि अफगानी सरकार सुरक्षा परिषद को इस बात के पूरे सबूत सौंपने को तैयार है कि पाकिस्तान तालिबान की सप्लाई चेन बना हुआ है.
कुंदूज पर तालिबान का कब्जा, सबसे बड़ी जीत
उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहर कुंदूज पर तालिबान का कब्जा उसकी अब तक की सबसे बड़ी जीत है. अफगानिस्तान को मध्य एशिया से जोड़ने वाले रास्ते पर पड़ने वाला ये शहर ड्रग तस्करी के रूट पर पड़ता है. अफगानिस्तान से यूरोप जाने वाली अफीम और हेरोइन यहीं से होकर गुजरती है. इस शहर पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान को कमाई का एक बड़ा ज़रिया मिल गया है.
इससे पहले 2015 और 2016 में भी कुछ समय के लिए कुंदूज पर तालिबान का कब्जा हुआ था, लेकिन कुछ समय के लिए. अफगान सेना के सामने एक बड़ी चुनौती होगी, कुंदूज से तालिबान को हटाना. अगर वहां तालिबान को टाइम मिल गया तो उसकी कमाई का ज़रिया फिक्स हो जाएगा और अफगानिस्तान सरकार के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी.
जरांज हाइवे भारत ने बनवाया है
ईरान सीमा के पास जरांज पर कब्जा करना भी तालिबान की एक बड़ी जीत है. ईरान और अफगानिस्तान के कारोबार का रूट यही है. ये शहर 217 किलोमीटर लंबे देलाराम- जरांज हाइवे पर है, जिसे भारत ने अफगानिस्तान में बनाया है. इस कब्जे से कारोबारी गतिविधियों पर तालिबान का दखल हो जाएगा.
क्या चाहता है भारत?
वहीं, बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने कांधार के बाद मजार-ए-शरीफ में अपने काऊंसलेट से लोगों को बुलाने का फैसला लिया है. भारत सरकार ने अपने राजनयिकों, अधिकारियों और अन्य भारतीयों को वापस लाने का इंतज़ाम किया है. मजार ए शरीफ अफगानिस्तान का बहुत महत्वपूर्ण शहर है. वहां की आबादी 5 लाख के करीब है.
ये बल्ख प्रांत की राजधानी है. ये कुंदुज और काबुल के अलावा उज्बेकिस्तान के तरमेज से जुड़ा हैं. कुंदुज पर तालिबानी कब्जा होने के बाद से यहां खतरा बढ़ गया है. हालांकि भारत चाहता है कि तालिबान ना आए. गनी की हूकूमत रहे और हर ग्रुप रहे जो तालिबान के खिलाफ है.
इधर, काबुल में भारतीय दूतावास के माध्यम से विदेश मंत्रालय द्वारा जारी तत्काल सलाह में अफगानिस्तान में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों को कमर्शल एयर सर्विस रद्द होने से पहले तत्काल यात्रा की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है. इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हिंसा बढ़ रही है, एयर सर्विस किसी भी समय बंद की जा सकती हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को भी सलाह दी गई है. भारतीय मीडियाकर्मियों को दूतवास से संपर्क में रहने को कहा गया है
क्या है पाकिस्तान की हकीकत?
जाहिर है पाकिस्तान किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान को स्थिर नहीं रहने देना चाहता क्योंकि इसी में उसे अपना बड़ा फायदा नजर आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर इमरान खान भले ही तालिबान को समर्थन देने की बात को गलत ठहराते हों, लेकिन सच्चाई यही है कि पर्दे के पीछे खुफिया एजेंसियां तालिबानी आतंकियों को पूरी मदद मुहैया करा रही हैं.
ये सवाल बार-बार खड़े हो रहे हैं
- 5 शहरों पर इतनी तेजी से तालिबान ने कब्जा कैसे कर लिया?
- 5 दिन में 5 शहर तालिबान की मुठ्ठी में कैसे आ गए?
- भारत के बनाए हाईवे पर तालिबान ने अपना बैरिकेड लगाने की स्थिति कैसे बना ली?
- एयरस्ट्राइक के बावजूद तालिबान काबू में क्यों नहीं आ रहा?