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तालिबान का खौफ: किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं लोग, उन्हें अब अमेरिका से उम्मीद!

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का राज शुरू हो गया है. तालिबान के डर से लोग देश छोड़ने की कोशिश में जुट गए हैं. दूसरे देश भी अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने (Evacuate) की तैयारी कर रहे हैं.

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काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मची हुई है. (फाइल फोटो-PTI)
काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मची हुई है. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 20 साल बाद अफगानिस्तान में फिर तालिबान राज
  • किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं लोग

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का राज शुरू हो गया है. तालिबान के डर से लोग देश छोड़ने की कोशिश में जुट गए हैं. दूसरे देश भी अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने (Evacuate) की तैयारी कर रहे हैं. 

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अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता है काबुल स्थित हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट. यहां लोगों की भीड़ इकट्ठी होती जा रही है. एयरपोर्ट से जुड़े एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, जिस दिन अमेरिकी सेना के हवाई जहाज पर चढ़ने के लिए भीड़ जुटी और कुछ लोग पहिए पर चढ़ गए थे. उसके अगले दिन अमेरिकी सेना ने पूरे एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में ले लिया. 

इस बीच अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन (Pentagon) के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि तीन अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर 22 हजार से ज्यादा अफगानियों को रखा जाएगा. इसकी तैयारी की जा रही है. फ्लाइट ट्रैकिंग सर्विस FlightRadar24 के डेटा से पता चलता है कि 16 और 17 अगस्त को काबुल से कई विमान उड़े थे. वहीं, अमेरिकी न्यूज साइट Defense One के मुताबिक, अमेरिकी सेना के C-17 ग्लोबमास्टर से 640 अफगानी एयरलिफ्ट किए गए थे. 

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अफगानियों की हालत बताने के लिए ये तस्वीर ही काफी है. (फोटो- PTI)

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काबुल स्थित हामिद करजई एयरपोर्ट मिलिट्री बेस के तौर पर भी काम करता है. जैसे ही काबुल में तालिबानियों का कब्जा हुआ. हजारों अफगानी नागरिक एयरपोर्ट पर इस उम्मीद में इकट्ठे हो गए कि वो बच सकते हैं. सैटेलाइट तस्वीरों में भी साफ देखा जा सकता है कि अफगानी अपनी जान बचाने के लिए किस हद तक कोशिश कर रहे हैं. रनवे पर हजारों की भीड़ दिख रही है. 

काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले ही सैकड़ों अफगानी देश छोड़कर जा चुके थे. FlightRadar24 का डेटा बताता है कि 14 और 15 अगस्त के बीच काबुल एयरपोर्ट से 21 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें जॉर्जिया, भारत, ईरान, पाकिस्तान, कतर, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और उज्बेकिस्तान की ओर रवाना हुई थीं. कई अफगानी मध्य पूर्व और एशिया के अन्य हिस्सों में भी गए, लेकिन जैसे ही काबुल से कमर्शियल फ्लाइट्स की उड़ान पर रोक लगी, लोग वहां फंसे रह गए.

सोमवार को एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिख रहा था कि लोग काबुल से निकलने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगाने को तैयार हैं. इस वीडियो में काबुल एयरपोर्ट से निकले अमेरिकी सेना के प्लेन C-17 के पहिए पर लटके हुए दिख रहे थे, लेकिन विमान जैसे ही हवा में उड़ा, वैसे ही तीन लोग नीचे गिर गए और उनकी मौत हो गई. 

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इस विमान के पहिए पर लटक गए थे लोग. (फोटो-PTI)

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अक्टूबर 2001 में अमेरिकी सेना की मदद से अफगानिस्तान में तालिबान का राज खत्म हो गया था. उसके बाद से अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में ही थी. लेकिन इस साल अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान फिर से उठने लगा. महज 10 दिन के अंदर तालिबान ने कम से कम 17 प्रांतों पर कब्जा कर लिया और 15 अगस्त को राजधानी काबुल भी हथिया ली.

अब एक बार फिर से अफगानियों को अमेरिका से उम्मीद है. अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट को सुरक्षित करने, अपने नागरिकों के साथ-साथ अफगानी नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित निकालने के लिए हजारों सैनिकों की तैनाती की है. 

जुलाई से अब तक सिर्फ दो हजार अफगानियों को ही वहां से निकालकर अमेरिका ले जाया गया है. अमेरिका ने 22 हजार अफगानियों को वहां से सुरक्षित निकालने का लक्ष्य रखा है. इस पर एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, 'ये अच्छा टारगेट है, लेकिन असल में ये एक चुनौती है.'

 

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