अफगानिस्तान में जारी उथल-पुथल पर नाटो देशों की पैनी नजर है. तालिबान की बढ़ती ताकत की वजह से खाड़ी देश में पैदा हुई अस्थिरता ने पूरी दुनिया के सामने नई चुनौतियां पेश कर दी हैं. ऐसे में नाटो के तमाम देश अफगानिस्तान में फिर शांति स्थापित करना चाहते हैं. वे अफगानिस्तान को फिर आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना नहीं बनाना चाहते हैं.
NATO देशों की अफगानिस्तान पर पैनी नजर
इसी कड़ी में NATO देशों के विदेश मंत्रियों ने एक अहम बैठक की थी. उस बैठक के दौरान अफगानिस्तान पर विस्तार से चर्चा की गई. जोर देकर कहा गया कि अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति चिंता में डालने वाली है. वहीं तालिबान के अत्याचारों पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा गया कि अब इस हिंसा के दौर को रोका जाए. वहीं अफगानिस्तान में आने वाली नई सरकार को नसीहत देते हुए कहा गया कि अब फिर अफगानिस्तान को आतंकियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना नहीं बनाया जा सकता है.
अफगान अधिकारियों की सहायता पर रोक
नाटो की तरफ इस बात पर भी जोर दिया गया है कि आने वाली सरकार को उन तमाम अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करना होगा जिससे फिर दूसरे देश अफगानिस्तान की मदद करने को आगे आ सकें. लेकिन अभी के लिए नाटो द्वारा अफगान अधिकारियों के लिए हर तरह की सहायता पर रोक लगा दी गई है. जब तक स्थिति फिर सामान्य नहीं हो जाती, नाटो इसी रणनीति के तहत काम करने जा रहा है.
वैसे इस अहम बैठक के दौरान अफगानिस्तान में जारी लोगों के रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी विस्तार से बात की गई. नाटो के हर देश ने फिर प्रण लिया कि अपने नागरिकों को समय रहते अफगानिस्तान से बाहर निकाला जाएगा. किसी को भी तालिबान के कहर के बीच अकेला नहीं छोड़ा जाएगा.
अभी के लिए अफगानिस्तान में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. एक तरफ तालिबान की दहशतगर्दी देखने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ बेबस अफगानी मदद के लिए दर-दर भटक रहा है.