अफगानिस्तान में महिलाओं की पढ़ाई के बाद तालिबान ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए घरेलू और बाहरी NGO में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी लगा दी है. इस पर अमेरिका ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार पर निशाना साधा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने इस आदेश के लिए तालिबान की निंदा करते हुए कहा है कि ये प्रतिबंध लाखों लोगों को महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक सहायता को बुरी तरह से प्रभावित करेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि महिलाएं दुनियाभर में मानवीय कार्यों के केंद्र में हैं. लेकिन तालिबान सरकार का ये फैसला अफगान लोगों के लिए विनाशकारी हो सकता है.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि प्रतिबंध की खबरों से वह बहुत परेशान हैं. उन्होंने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय NGO के जरिए 28 मिलियन से अधिक अफगानों की मदद कर रहे हैं, जो वहां जिंदा रहने के लिए भी मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
एनजीओ में महिलाओं के काम न करने संबंधी आदेश अर्थव्यवस्था मंत्री कारी दीन मोहम्मद हनीफ के एक पत्र में आया है. इसमें कहा गया है कि आदेश का पालन नहीं करने वाले किसी भी संगठन का अफगानिस्तान में परिचालन लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. यह महिला अधिकारों और आजादी के मामले में बड़ा झटका है. तालिबान ने पिछले साल सत्ता पर कब्जा कर लिया था और शिक्षा, रोजगार, कपड़े और यात्रा पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिया था.
हालांकि अफगानिस्तान ने बीते दिनों महिलाओं के खिलाफ एक और सख्त आदेश जारी किया था, जिसमें महिलाओं के लिए यूनिवर्सिटी बंद करने की घोषणा की गई थीं. उच्च शिक्षा मंत्री के एक पत्र के अनुसार, तालिबान ने अफगानिस्तान में युवती और महिलाओं के लिए संचालित यूनिवर्सिटीज को बंद करने की घोषणा की थी.
ये भी देखें