एक जमाने में तालिबान की गोली खाने वालीं नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा था. कारण सिर्फ इतना था कि उनकी तरफ से तालिबान और अफगानिस्तान में जारी स्थिति पर कोई बयान नहीं दिया गया. उन्होंने कोई ट्वीट भी नहीं किया था. इस वजह से उनके आलोचक सोशल मीडिया सक्रिय हो गए थे. लेकिन अब मलाला ने पहली बार अफगानिस्तान की स्थिति पर ट्वीट किया है.
मलाला ने तालिबान पर क्या कहा?
मलाला ने ट्वीट में लिखा है कि- हम सभी हैरत में हैं. तालिबान जिस तरह से अफगानिस्तान में कब्जा जमाता जा रहा है, ये देख मैं स्तब्ध हूं. मुझे महिलाओं की, अल्पसंख्यकों की काफी ज्यादा चिंता है. हर छोटे-बड़े देश से अपील है कि अफगानिस्तान में तुरंत सीजफायर करवाया जाए और शरणार्थियों और आम लोगों को भी सुरक्षित बाहर निकाला जाए. मलाला की तरफ से भी ये ट्वीट उस समय किया गया है जब उन पर ऐसा करने का दवाब बना.
We watch in complete shock as Taliban takes control of Afghanistan. I am deeply worried about women, minorities and human rights advocates. Global, regional and local powers must call for an immediate ceasefire, provide urgent humanitarian aid and protect refugees and civilians.
— Malala (@Malala) August 15, 2021
मलाला की चुप्पी पर उठ रहे थे सवाल
लंबे समय से ये मांग थी कि मलाला को तालिबान के खिलाफ खुलकर बोलना चाहिए. जिन्होंने खुद तालिबान की हिंसा को अनुभव किया हो, जिन्हें उनकी दहशतगर्दी का अंदाजा हो, उनका चुप रहना कई लोगों को कचोट रहा था. कोई उन्हें सोशल मीडिया पर 'डरपोक' कह रहा था तो कोई उन्हें दोहरे मापदंड रखने वाला बता रहा था. लेकिन अब जब मलाला ने तालिबान पर खुलकर टिप्पणी कर दी है और अपनी मांग भी स्पष्ट की है, ऐसे में तमाम आलोचक चुप्पी साध गए हैं.
मलाला यूसुफजई की बात करें तो उनका जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान में हुआ था. वहीं मात्र 17 साल की उम्र में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें सबसे कम उम्र में ये तमगा हासिल करने का सौभाग्य मिला था.
वैसे अब मलाला ने जरूर अफगानिस्तान पर स्टैंड साफ कर दिया है, लेकिन वहां पर स्थिति हर बीतते दिन के साथ बिगड़ रही है. खबर है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी इस्तीफा देने जा रहे हैं. उनकी जगह अली अहमद जलाली को सत्ता सौंपी जाएगी. इस बड़े फेरबदल के पीछे तालिबान की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है क्योंकि उसकी तरफ से भी लगातार सत्ता परिवर्तन की मांग हो रही थी.