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अफगानिस्तान: 'महिलाओं के अधिकार प्राथमिकता नहीं', शिक्षा पर पाबंदी के एक महीने बाद बोला तालिबान

तालिबानी सरकार ने अफगानिस्तान में एक महीने पहले महिलाओं की यूनिवर्सिटी में शिक्षा पर पाबंदी लगा दी थी. अब तालिबान ने कहा कि उनके लिए महिलाओं के अधिकार कोई मायने नहीं रखते हैं. तालिबान ने कहा कि वह इस्लामिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी काम की अनुमति नहीं देगा.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार ने करीब एक महीने पहले महिलाओं के खिलाफ सख्त आदेश जारी करते हुए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद करने और एनजीओ में काम करने पर पाबंदी लगा दी थी. अब तालिबान ने कहा है कि महिलाओं के अधिकार कोई मायने नहीं रखते हैं.

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तालिबान शासन ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि इन प्रतिबंधों की अंतर्राष्ट्रीय पर निंदा हुई थी. क्योंकि इन फैसलों से अफगान महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.

वहीं, तालिबान ने कहा कि वह इस्लामिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी काम की अनुमति नहीं देगा और देश में स्थापित नियमों के अनुसार महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंधों से संबंधित चिंताओं से निपटा जाएगा.

अफगान मीडिया ने तालिबान के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा कि महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंध हटाना समूह के लिए प्राथमिकता नहीं है.

इस मुद्दे पर तालिबान ने अपना रुख को दोहराया है. दरअसल, 11 देशों ने तालिबान से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया था. इसके 11 दिन बाद तालिबान ने अपना बयान दिया है. 

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दिसंबर में तालिबान ने सभी महिलाओं को अगली सूचना तक कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद महिलाओं के एनजीओ में काम करने के लेकर भी रोक लगा दी गई थी. हालांकि तालिबान के इस कदम की कई देशों ने निंदा की थी.
 

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