तालिबान के समर्थन में कई मौकों पर खुलकर बल्लेबाजी करने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर पूरी दुनिया से उस आतंकी संगठन की मदद की अपील कर दी है. इमरान खान ने कहा है कि तालिबान सरकार को अभी विदेशी फंड्स की जरूरत है, अगर दुनिया ने मदद की तो ये संगठन सही दिशा में आगे बढ़ सकता है.
CNN को दिए इंटरव्यू में इमरान खान ने जोर देकर कहा है कि तालिबान अगर एक समावेशी सरकार देने में सफल हो गया, तो 40 साल बाद अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो जाएगी.
अगर तालिबान पूरे अफगानिस्तान को एकजुट करने में सफल हो गया, अगर उसने एक समावेशी सरकार दे दी, तो मानकर चलिए की चालीस साल बाद अफगानिस्तान में फिर शांति स्थापित हो सकती है. लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो बड़े स्तर पर मानवीय संकट खड़ा हो जाएगा. अराजकता फैलने का डर रहेगा.
तालिबान को मदद की जरूरत: इमरान
इमरान खान ने जोर देकर कहा है कि अभी तालिबानी सरकार को आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है. उस सरकार को विदेशी फंड्स चाहिए. अगर वो दे दिए गए तो ये संगठन भी विकास के लिए काम कर सकता है. इमरान ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी बाहरी ताकत अब अफगानिस्तान को नहीं चला सकती है. जो भी कुछ हो सकता वो सिर्फ बातचीत के जरिए ही संभव है. इमारन ने उम्मीद जताई है कि अगर अब अफगानिस्तान और वहां की सरकार को प्रोत्साहित किया जाए, तो सही दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है.
अफगानिस्तान की महिलाएं बहादुर: इमरान
पाकिस्तान के वजीरे आजम ने तालिबान की महिलाओं पर क्रूरता पर भी विस्तार से बात की है. उन्होंने कहा है कि अगर बाहर से अफगान महिलाओं को उनका हक दिलवा सकते हैं तो ये गलत है. अफगान महिलाएं मजबूत हैं. उन्हें समय दीजिए, वे खुद अपने हक हासिल कर लेंगी.
अपने मुल्क उदाहरण देते हुए इमारन ने बताया है कि वहां पर महिलाओं को पढ़ने के लिए मोटिवेट किया जाता है. अगर बचपन से ही लड़कियों को शिक्षा दी जाएगी, तो आगे जाकर वे खुद अपने अधिकार ले लेंगी.
अमेरिका से खफा पाकिस्तान
उस इंटरव्यू में एक वक्त ऐसा भी आया जब इमरान खान की अमेरिका के खिलाफ नाराजगी साफ महसूस की गई. जब सवाल अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से वापस जाने पर पूछा गया तो इमारन ने साफ कर दिया कि उन्होंने लंबे समय से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात नहीं है. उनके मुताबिक दोनों देशों के बीच फोन पर भी बात नहीं हुई है. इमारन की माने तो बाइडेन काफी व्यस्त हो सकते हैं. लेकिन उनका और उनके देश का रिश्ता सिर्फ एक कॉल पर नहीं टिका है.
इमरान ने इस बात का भी दर्द बयां कि 20 साल के अफगान युद्ध के दौरान उनके देश को अमेरिका द्वारा को तवज्जो नहीं दी गई. उनका इस्तेमाल तो सिर्फ उस बंदूक की तरह हुआ जिसके जरिए युद्ध जीतने के सपने देखे गए, लेकिन असल में वो कभी संभव नहीं था.
इमरान ने बताया अफगानिस्तान समाधान
पाक पीएम की नजर में अगर अमेरिका ने तालिबान के साथ राजनीतिक स्तर पर कोई समझौता किया होता, तो स्थिति इतनी ज्यादा नहीं बिगड़ती. लेकिन अमेरिका ने तो हमेशा यही माना है कि पाकिस्तान ने आतंकियों को सुरक्षित पनाह दी है. इस पर इमारन ने भी दो टूक कहा है कि उनके देश ने किसी को भी कोई संरक्षण नहीं दिया. उनके मुताबिक पाकिस्तान की जो सीमा अफगानिस्तान संग मिलती भी है, एक समय वहां पर अमेरिका का जबरदस्त पहरा रहता था. ऐसे में अगर किसी भी आतंकी को संरक्षण दिया जाता, तो उन्हें जरूर पता चलता.