अफगानिस्तान में कुछ ही दिनों में तालिबान की सरकार का गठन होने जा रहा है. अब इस नई सरकार की क्या रणनीति रहेगी, इसको लेकर तालिबान ने ज्यादा पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन एक बात साफ हो चली है- इस नई सरकार में पाकिस्तान का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप रहने वाला है. इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान के ISI चीफ Faiz Hamid Begha ने हिज्ब-ए-इस्लामी के लीडर हिकमतयार से काबुल में मुलाकात की है.
ISI चीफ की हिकमतयार से मुलाकात
अब हिज्ब-ए-इस्लामी की तालिबानी सरकार में क्या भूमिका रहने वाली है, ये बात किसी से नहीं छिपी है. लेकिन उस सरकार के गठन से पहले पाकिस्तानी ISI चीफ का हिज्ब-ए-इस्लामी के सुप्रीम लीडर से मिलना काफी मायने रखता है. खबरों के मुताबिक काबुल में हुई मुलाकत के दौरान अफगानिस्तान में बनने जा रही नई सरकार पर विस्तार से चर्चा हुई है.
अब सरकार जरूर अफगानिस्तान में बननी है, लेकिन इसमें पाकिस्तान भी एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है. उनके शीर्ष नेता लगातार तालिबान के संपर्क में हैं. तालिबान भी पाकिस्तान को अपना पुराना साथी बता रहा है. इस बीच काबुल में हुई मुलाकात ने फिर इस बात पर मुहर लगा दी है कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में पाकिस्तान की दखलअंदाजी जरूरत से ज्यादा बढ़ने वाली है.
सरकार तालिबान की, पाकिस्तान का क्या योगदान?
वैसे पाकिस्तान इस समय सिर्फ तालिबान से वार्ता नहीं कर रहा है, बल्कि उसकी हर उस देश से भी चर्जा जारी है जो आने वाले समय में अफगानिस्तान में एक तालिबानी सरकार को मान्यता दे सकता है. इस काम में अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष दूत मोहम्मद सादिक एक सक्रिय भूमिका निभाते दिख रहे हैं. वे सामने आकर तो कुछ नहीं कह रहे, लेकिन पर्दे के पीछे बैठकों का दौर जारी है.
तालिबान का क्या आश्वासन?
इस बीच तालिबान और उसके साथी भी लगातार पूरी दुनिया को आश्वासन दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में एक ऐसी सरकार का गठन किया जाएगा जो समावेशी होगी और जहां सभी को समान अधिकार मिलेंगे. इस बारे में जब आजतक ने हामिद करजई के प्रवक्ता से बात की तो उनकी तरफ से कहा गया कि सरकार को लेकर बातचीत का दौर जारी है. एक ऐसी सरकार का गठन किया जाएगा जिसे हर अफगान अपना मानेगा. उनके अधिकारों की लगातार सुरक्षा की जाएगी.