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अफगानिस्तान: SC ने पहली बार सुनाई शरिया कानून के तहत सजा, शराब पीने पर लगे इतने कोड़े

सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीने और बेचने के दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा कि इन सातों आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. इसलिए इन्हें 35 कोड़े की सजा दी गई.

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तालिबानी लड़ाके (फाइल फोटो)
तालिबानी लड़ाके (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान में शराब पीने पर कोड़े मारने की सजा
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सात लोगों को सजा

अफगानिस्तान में शराब बेचने और पीने पर तालिबान सरकार के सुप्रीम कोर्ट ने सात लोगों को कोड़े मारने का आदेश दिया है. कोर्ट के एक अधिकारी ने कहा कि इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान बनने के बाद ऐसा पहली बार है जब कोर्ट ने शरिया कानून के तहत सजा दी हो. तालिबान ने 1996 और 2001 के बीच अपने पहले शासन के दौरान कड़ी सजा दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल, 2022 को आदेश में कहा है कि इन सातों आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. इसलिए इन सातों को ही 35-35 कोड़े की सजा दी गई. सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी अब्दुल बासिर मशल ने बताया कि यह सजा राजधानी काबुल में आज ही दी जाएगी. सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार, तालिबान लड़ाकों ने सत्ता संभालने के बाद से अदालत के आदेश के बिना कथित तौर पर कोड़े मारे हैं, जिनकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है.

सख्त सजा के लिए कुख्यात था तालिबान

अदालत के बयान में कहा गया है कि सात लोगों पर शराब बेचने और पीने, साथ ही कार चोरी करने जैसे अपराधों के लिए अलग-अलग मामलों में आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने पांच को छह महीने जेल की सजा भी सुनाई गई. सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, तालिबान शरिया कानून की सख्त सजा देने के लिए कुख्यात था, जिसने सार्वजनिक अपराधों और छोटे अपराधों के लिए भी दोषियों को दंडित किया. उस समय के नियम महिलाओं के लिए विशेष रूप से कठोर थे. 

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महिलाओं की आजादी पर कसी नकेल

तालिबान ने सार्वजनिक फांसी भी दी थी, चोरों के हाथ और पैर काट दिए थे और व्यभिचार की आरोपी महिलाओं को पत्थर से पिटवाया था. जब उन्होंने पिछले साल सत्ता पर कब्जा किया तो उन्होंने अपने पिछले शासन से नरमी बरतने के लिए कहा. लेकिन जोर देकर कहा कि ये शरिया कानून द्वारा निर्देशित होगा. पिछले आठ महीनों में तालिबान ने पिछली सरकार में 20 सालों तक महिलाओं को मिली कई स्वतंत्रताओं पर नकेल कसी है.

अधिकांश सरकारी नौकरियों से महिलाओं को प्रभावी रूप से निकाल दिया गया है और कुरान के अनुसार महिलाओं को कपड़े पहनने का आदेश भी दिया गया है. उन्हें बिना किसी महरम या वयस्क रिश्तेदार के बिना बाहर निकलने से भी मना किया गया. उनके एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा पर अकेले जाने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है. 

 

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