अफगानिस्तान के 33 प्रांतों पर भले ही तालिबान काबिज हो चुका हो लेकिन पंजशीर अब भी तालिबान के लिए दूर की कौड़ी है. पंजशीर के 9 हजार शेर, तालिबानी लड़ाकों पर भारी पड़ रहे हैं. पंजशीर में अपनी दाल गलती ना देखकर तालिबान बौखला गया है. इसी बौखलाहट में तालिबान ने पंजशीर में इंटरनेट और फोन की सेवाएं ठप कर दी हैं.
अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुके तालिबान को पंजशीर में कड़ी चुनौती मिल रही है. तालिबान पूरे अफगानिस्तान में हुकूमत करना चाहता है, लेकिन पंजशीर में अब भी वतन के लिए कुर्बानी के जज्बे वाले अफगानियों की हुकूमत चल रही है. पंजशीर में मिल रही चुनौती से तालिबानी इतना घबरा गए हैं कि पंजशीर में इंटरनेट सुविधाएं बंद कर दी हैं.
यही नहीं तालिबान ने कॉल और मैसेज की सेवा भी बंद कर दी है. पूरे पंजशीर में टेलिकॉम सर्विस बंद कर दी गई है. हालांकि पंजशीर के रहने वाले एक निवासी ने बताया कि पंजशीर का अपना टेलिकम्युनिकेशन चैनल है. तालिबान पंजशीर पर कब्जे के लिए हर हथकंडे अपना रहा है लेकिन जीत नहीं मिल रही है. इस बीच तालिबान ने दावा किया कि पंजशीर के एक इलाके पर उसका कब्जा हो गया है.
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9 हजार लड़ाके तालिबान के लिए बने मुसीबत!
वहीं अहमद मसूद के करीबी फहीम दस्ती ने आजतक से कहा कि तालिबानियों ने एक इलाके में कब्जे की कोशिश की थी, जहां पंजशीर के लड़ाकों ने उन्हें दबोच लिया और उनके पास से मिले हथियारों को जब्त कर लिया. 23 अगस्त को पंजशीर पर कब्जा करने के लिए तालिबान ने 3 हजार लड़ाकों को पंजशीर की सीमा पर भेजा था, लेकिन पंजशीर के 9 हजार लड़ाके तालिबानी लड़ाकों को टक्कर देने के लिए तैयार हैं.
कैसे बन रही है तालिबान के खिलाफ रणनीति?
पंजशीर में अफगान रेजिस्टेंस फोर्स की कमान शेर-ए-पंजशीर के बेटे अहमद मसूद जूनियर के हाथों में है. अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर में मौजूद हैं. अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला खान मोहम्मदी भी पंजशीर में ही जमे हैं. ये सभी सिर्फ पंजशीर को तालिबानी कब्जे से बचाने की जंग नहीं लड़ रहे हैं बल्कि अफगानिस्तान को तालिबान के कब्जे से छुड़ाने के लिए आर पार की लड़ाई की तैयारी में हैं. अमरुल्लाह सालेह ने तालिबानी हुकुमत को मानने से साफ इनकार कर दिया है.
तालिबान के साथ नहीं हुई है पंजशीर की डील!
तालिबान वैश्विक मीडिया में यह दावा कर रहा है कि पंजशीर के साथ उसकी डील हो गई है. अहमद मसूद की अगुवाई में नॉर्दर्न अलायंस और तालिबान के बीच परवान में बातचीत शुरु हो गई है. तालिबान के इस हथकंडे पर प्रतिक्रिया देते हुए अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने एक इंटरव्यू में कहा, 'हमारा मानना है कि सरकार में लोगों की सीधी भागीदारी होनी चाहिए. हम चाहते हैं कि महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिले. लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें. बदले के लिए आम लोगों पर हिंसा न हो. हम तालिबान से बात कर रहे हैं, लेकिन यह बातचीत पंजशीर के लिए नहीं, अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर हो रही है.'
तालिबान से बातचीत की अगुवाई फहीम दस्ती कर रहे हैं. फहीम दस्ती ने आजतक से बातचीत में साफ कर दिया कि तालिबान और पंजशीर के बीच बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई है.
क्या है पंजशीर की खासियत?
काबुल से 90 मील उत्तर हिंदकुश पर्वत पर स्थित इस इलाके की खासियत ये है कि ये पहाड़ियों के बीचों बीच में है. यही वजह है कि जब कोई दुश्मन इलाके में घुसने की कोशिश करता है तो पहाड़ों के ऊपर रखे मशीनगन उन्हें आसानी से निशाना बना लेते हैं. पंजशीर घाटी इस वक्त अफगानिस्तान में प्रतिरोध का केंद्र बनी हुई है. पंजशीर घाटी को तालिबानियों से बचाने के लिए अहमद मसूद के नेतृत्व में 9 हजार विद्रोहियों ने मोर्चा संभाला हुआ है. पंजशीर में नॉर्दन अलायंस और तालिबान के बीच अभी भी जबरदस्त लड़ाई जारी है.
अभेद्य किला बना है पंजशीर
पंजशीर घाटी की पहाड़ी चोटियों पर मसूद के जवानों ने हैवी मशीन गन तैनात कर रखी हैं, जिससे तालिबानियों का शिकार किया जा सके. इसके अलावा मोर्टार और निगरानी चौकी भी बनाई गई है. खबर ये है पंजशीरियों ने सैकड़ों तालिबानी लड़ाकों को मार गिराया है, और काफी सारों को बंधक भी बना लिया है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को 11 दिन हो गए हैं लेकिन पंजशीर घाटी से मिल रही चुनौती का अभी भी तालिबान के पास कोई जवाब नहीं है. हालांकि तालिबान दावा कर रहा है कि उनसे पंजशीर की घाटी को तीन तरफ से घेर रखा है. पंजशीर की रसद और दूसरे सामान की सप्लाई लाइन काट दी है. कुछ तालिबानी पंजशीर के बाहरी इलाके में हथियारों के साथ देखे गए हैं.
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