अमेरिकी सेना हटने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने की तालिबान की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. काबुल के राष्ट्रपति भवन तक पर तालिबानियों का कब्जा है. अमेरिका ने अपने 6,000 सैनिकों को काबुल एयरपोर्ट पर तैनात किया है, जिससे अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकाला जा सके. अफगानिस्तानी नागरिकों का एक बड़ा समूह अपना देश छोड़ना चाहता है.
अमेरिकी सेना के विमानों के पीछे भागने वाले युवकों की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जो अमेरिका और अफगानिस्तानियों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए ट्रांसलेटर का काम करते थे. अमेरिका जब तक अफगानिस्तान में रहा, इन युवाओं ने बड़ी संख्या में सेना की मदद की. एक ट्रांसलेटर ने दावा किया है कि अमेरिका ने वादा किया था वे, उन्हें साथ ले जाएंगे, लेकिन अमेरिका ने छोड़ दिया.
काबुल में अमेरिका के लिए काम करने वाले एक अनुवादक खुशल्ला खान ने कहा, 'अमेरिकी सेना के विमानों के पीछे भाग रहे ज्यादातर युवा वे हैं, जिन्होंने अमेरिकियों की अफगानिस्तान में मदद की. ज्यादतर उनमें से अनुवादक हैं. अमेरिका ने उनसे वादा किया था कि उन्हें भी अपने साथ अमेरिका ले जाएंगे. अमेरिका ने वादा तोड़ दिया, उन्हें यहीं छोड़ दिया गया है.'
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भाग चुके हैं अशरफ गनी
अफगानिस्तान की सत्ता पर अब तालिबान पूरी तरह से काबिज हो चुका है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं. अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव भी दिया जा चुका है. तालिबानी अब सीधे अपने हाथ में सत्ता लेंगे. तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी काबुल में ही है. दोहा में एक बैठक के बाद तालिबानी सरकार, सत्ता के औपचारिक ऐलान पर फैसला कर सकती है. मुल्ला अब्दुल राष्ट्रपति भवन में ही बैठा है.
काबुल एयरपोर्ट पर मची है भगदड़
तालिबान राज कायम होते ही काबुल में भगदड़ मची है. अफगानिस्तान के हजारों लोग काबुल एयरपोर्ट की ओर भाग रहे हैं. अफगानिस्तान से भागकर लोग दूसरे देशों में शरण लेना चाहते हैं. वहीं कई देशों के नागरिक अब भी वहां फंसे हुए हैं. लोग जल्द से जल्द काबुल से दूसरे देशों में भागना चाहते हैं. हालांकि तालिबान ने कहा है कि अब लोगों को परेशान न किया जाए, फिर भी तालिबान पर भरोसा करना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है.