अफगानिस्तान से अमेरिका की फौज वापस जा चुकी है. राष्ट्रपति अब्दुल गनी के देश छोड़कर भाग जाने के बाद काबुल के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान के लड़ाकों का कब्जा है. पंजशीर में नॉर्दर्न अलायंस और तालिबान लड़ाकों के बीच संघर्ष जारी है. काबुल की सड़कों पर महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं तो वहीं अन्य इलाकों से भी मानवाधिकार के उल्लंघन की झकझोर देने वाली तस्वीरें आ रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के फौज को वापस बुलाने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं.
अफगानिस्तान के ताजा हालात और सेना की वापसी से जुड़े फैसले, अमेरिका की नीति और अन्य मसलों को लेकर आजतक से बात करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेड तरार बचाव की मुद्रा में नजर आए. उन्होंने कहा कि हम 20 साल से अफगानिस्तान में थे. युद्ध का अंत कभी न कभी तो होना ही था. हम इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं कह सकते.
जेड तरार ने कहा कि जो बाइडेन नहीं चाहते थे कि ये जंग अगले राष्ट्रपति को जाए. जंग के परिणाम को लेकर सवाल पर तरार ने कहा कि हम जिस उद्देश्य के लिए अफगानिस्तान में गए थे वह था 9/11. उन्होंने कहा कि हमने ओसामा बिन लादेन को मार भी दिया. इसे भी 10 साल हो गए. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेड तरार ने कहा कि इस समय हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं. मजार-ए-शरीफ में एक फ्लाइट है, एक फ्लाइट आ गई है जिसमें 30 लोग थे.
जेड तरार ने कहा कि अफगानिस्तान में जितनी भी फ्लाइट्स हैं, वे जाने दें इसके लिए हम तालिबान के साथ लगातार बात कर रहे हैं. हमने डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को निकाला. हम अभी भी कतर और टर्की में हैं और हमारी टीम तालिबान से बात कर रही है. हम अभी भी लोगों को निकाल रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेड तरार ने कहा कि हम जर्मनी और 22 अन्य देशों के साथ नाटो के संपर्क में हैं. हम तालिबान पर दबाव बनाएंगे कि उन्होंने जो वादे किए थे और जो जमीनी हकीकत है, वो बिल्कुल अलग दो चीजें हैं.
अपने नागरिकों को निकालने के लिए आपको तालिबान से विनती करनी पड़ रही है तो क्या अमेरिका सिराजुद्दीन हक्कानी से बात करेगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हम बस चर्चा नहीं कर रहे बल्कि इंटरनेशनल कम्युनिटी भी नजर बनाए हुए हैं. जेड तरार ने पाकिस्तान से जुड़े सवाल पर कहा कि हमने जहां तक सुना है वे भी इनक्लूसिव गवर्नमेंट चाहते हैं. पाकिस्तान भी जर्मनी के साथ उन 22 देशों में शामिल है. पाकिस्तान का भी यह मानना है कि अफगानिस्तान में स्थिरता पड़ोसियों के हक में है.