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अफगानिस्तान: 3 नए शहरों पर तालिबान का कब्जा, वॉरलॉर्ड्स की शरण में राष्ट्रपति, US ने जताया ये डर

तालिबान ने तीन नए शहरों को अपने कब्जे में लिया, साथ ही सेना के स्थानीय हेडक्वॉर्टर पर भी अपना कब्जा जमा लिया. अफगानिस्तान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और अब काबुल के चारों ओर का इलाका एक तरह से तालिबान के कब्जे में है. 

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तालिबान के खौफ से अफगानिस्तान का बुरा हाल (PTI)
तालिबान के खौफ से अफगानिस्तान का बुरा हाल (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व बढ़ा
  • तीन नए शहरों पर तालिबान का कब्जा

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का कब्ज़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. हर बदलते दिन के साथ तालिबान प्रांतीय राजधानियों को अपने कब्जे में ले रहा है. बुधवार को भी तालिबान ने तीन नए शहरों को अपने कब्जे में लिया, साथ ही सेना के स्थानीय हेडक्वॉर्टर पर भी अपना कब्जा जमा लिया. अफगानिस्तान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और अब काबुल के चारों ओर का इलाका एक तरह से तालिबान के कब्जे में है. 

अफगानिस्तान के Badakhshan, Baghlan प्रांत में तालिबान ने कब्जा कर लिया है, फराह प्रांत पर पहले ही तालिबान कब्जा कर चुका है. ऐसे में अब सबसे बड़ा खतरा काबुल पर मंडरा रहा है. 

कई अमेरिकी रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अगर तालिबान इसी तरह अपना कब्जा बढ़ाता गया, तो जल्द ही काबुल तक वह पहुंच सकता है. रिपोर्ट्स का कहना है कि तालिबान को रोकने के लिए अफगानिस्तान सरकार, सेना को अधिक ज़ोर लगाना होगा. 

वॉरलॉर्ड्स की शरण में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति

तालिबानी लड़ाकों की अगली नज़र अब अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत पर टिकी है. ऐसे में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान का सामना करने के लिए वॉरलॉर्ड्स की मदद मांगी है. इतनाल ही नहीं राष्ट्रपति ने आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ को भी बदल डाला है. वॉरलॉर्ड्स वो हैं, जिन्होंने अमेरिका की मदद से खुद को तैयार किया और तालिबान के खिलाफ लड़ाई को जारी रखा. 

ऐसे में जब अफगानी सेना लगातार तालिबानियों को रोकने में नाकाम हो रही है, तब राष्ट्रपति द्वारा इनकी मदद मांगी जा रही है ताकि बल्ख प्रांत को तालिबान के कब्ज़े में जाने से बचाया जा सके. 

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अमेरिका भी हुआ निराश..

अफगान बलों के तेजी से पतन ने अमेरिकी सहयोगियों को निराश कर दिया है और विदेशों में अमेरिकी प्रतिबद्धताओं के मूल्य के बारे में चिंताओं को उजागर किया है. 

बता दें कि भारत ने भी इस सप्ताह एक वाणिज्य दूतावास को बंद कर दिया है और अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए एक विमान भेजा है. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी सेना और विदेश विभाग ने इस सप्ताह काबुल में स्थिति के अनुसार अमेरिकी दूतावास को खाली करने की योजना को तेज कर दिया है.

नवीनतम अमेरिकी खुफिया आकलन में कहा गया है कि काबुल एक महीने में जल्द से जल्द आतंकवादियों के निशाने पर आ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी अधिकारियों को अब चिंता है कि तालिबान के हमले से पहले अफगान नागरिक, सैनिक और अन्य लोग शहर से भाग जाएंगे.

आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया था कि 11 सितंबर तक अमेरिकी सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान से बाहर आ जाएगी. अभी तक 90 फीसदी जवान वापस आ चुके हैं, इसी के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान में हमला तेज़ कर दिया. 

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