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अफगानिस्तानः तालिबानियों के डर से घर छोड़कर रिफ्यूजी कैम्प में रह रहे लोग, पढ़ें ये ग्राउंड रिपोर्ट

अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान एक बार फिर से एक्टिव हो गया है. अफगान सेना और तालिबानी आतंकियों के बीच जारी संघर्ष का नतीजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. अकेले कंधार में ही 11 हजार से ज्यादा परिवारों को अपना घर छोड़कर रिफ्यूजी कैम्प में रहना पड़ रहा है.

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वो इलाका जहां रिफ्यूजी कैम्प बनाए गए हैं. (फोटो- इंडिया टुडे)
वो इलाका जहां रिफ्यूजी कैम्प बनाए गए हैं. (फोटो- इंडिया टुडे)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कंधार में तालिबान की ज्यादती जारी
  • लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं
  • दूसरे देश भी भागने को मजबूर हैं लोग

अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमेरिकी सेना (US Army) की वापसी के बाद वहां तालिबान (Taliban) एक बार फिर से एक्टिव हो गया है. अफगान सेना और तालिबानियों की बीच बीते दो महीनों से लगातार संघर्ष हो रहा है. इसका नतीजा भुगतना पड़ रहा है आम लोगों को, जो अपनी जान बचाने के लिए अपना घर-बार छोड़कर सरकार के बनाए रिफ्यूजी कैम्प (Refugee Camp) में रहने को मजबूर हैं.

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कंधार (Kandhar) अभी भी अफगान सरकार के नियंत्रण में है, लेकिन यहां तालिबान तेजी से कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. कंधार अफगानिस्तान के बेहद महत्वपूर्ण शहरों में से एक है. कंधार में सरकार ने एक रिफ्यूजी कैम्प खोला है, जहां बम-बंदूक  के शोर के बीच फंसे परिवारों को सुरक्षा देने की कोशिश की जा रही है. इस कैम्प में तालिबानियों से अपनी जान बचाकर आए 11 हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं.

कैम्प में दो बार खाना मिल रहा...

कंधार के सांसद सैयद अहमद सैलाब बताते हैं कि ईद के बाद तालिबान ने अफगानी फौज पर हमले तेज कर दिए हैं. पूरे कंधार में आम लोग तालिबान और फ़ौज के बीच जारी संघर्ष के बीच फंस गए हैं और हालत ये है कि सैकड़ों गांवों से हज़ारों लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में घर से भागने को मजबूर हैं. वो बताते हैं कि इस रिफ्यूजी कैम्प में लोगों को दिन में दो बार खाना और एक बार नाश्ता दिया जा रहा है.

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ये भी पढ़ें-- क्या है तालिबान? अफगानिस्तान में 20 साल बाद इतना मजबूत होकर फिर कैसे उभर गया

यहां रह रहे परिवारों की हालात बहुत खराब है. इस कैम्प में रह रहीं बीबी नादिया बताती हैं, "हम जंग की वजह से अपने घर में 3 दिनों तक भूखे रहे और हमारे पास कुछ खाना नहीं था. आखिरकार मेरे बच्चे भूख से मर रहे थे इसलिए मैंने अपना घर छोड़ा." वहीं, एक और पीड़िता बीबी जरमीना बताती हैं, "जंग में मेरे 3 बच्चे शहीद हो गए. वहां बड़ी तादाद में तालिबानी हैं और मैं अपने बच्चों की कब्रों पर नहीं जा सकती."

इस साल करीब 3 लाख लोग विस्थापित

जनवरी से लेकर अब तक पूरे अफगानिस्तान में करीब 2 लाख 70 हज़ार लोगों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा है. अगर तालिबान की शुरुआत से लेकर अब तक का लेखा-जोखा निकाला जाए तो ये आंकड़ा 30 लाख 50 हज़ार के भी पार चला जाता है.

लड़ाई से बेघर हुए ऐसे लोग सिर्फ अफगानिस्तान में ही भटकने को मजबूर नहीं हैं, बल्कि दूसरे देशों की तरफ भागने को भी मजबूर हो गए हैं. तुर्की के पूरी इलाके वान में ईरान के रास्ते घुस आए दर्जनों अफगान नागरिकों को पकड़ा गया है. साथ ही 11 ऐसे मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है, जो अफगानी नागरिकों को गलत तरीके से तुर्की में घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहे थे.

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तुर्की के गृह मंत्रालय की मानें तो हाल के दो हफ्तों में 1600 अफगान नागरिकों को वान प्रोविंस में पकड़ा गया है. ये वो लोग हैं जो अफगानिस्तान में तालिबान और फौज के बीच जारी आमने-सामने की जंग से बेघर हुए हैं.

 

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