
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर से अफगान शरणार्थियों ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है. अफगान शरणार्थियों ने पेशावर में अपने कारोबार, मेडिकल क्लिनिक और शिक्षण संस्थान बंद कर दिए हैं. क्योंकि पाकिस्तान सरकार ने अफगान शरणार्थियों के देश छोड़ने के लिए 31 मार्च की समय सीमा दी है.
पाकिस्तान में हाल के दिनों में राजनीतिक और सामाजिक हालात में बड़े बदलाव आए हैं. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) लगातार पाकिस्तान के सुरक्षाकर्मियों को निशाना बना रही है. इस साल (2025) में बीएलए के लड़ाकों ने पाक सुरक्षाकर्मियों पर कई हमले किए हैं.
पाकिस्तान की अफगान शरणार्थियों को मोहलत
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में दरार आ गया है. पाकिस्तान ने अफगान सिटीजन कार्ड धारकों और अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों को देश छोड़ने के लिए 31 मार्च तक की मोहलत दी है. पेशावर में स्थानीय प्रशासन ने अफगानों को अपना कारोबार बंद करने के लिए नोटिस जारी किए हैं.
पाक छोड़कर जाने की मजबूरी की वजह से अफगान छात्र देश लौटने को मजबूर हो गए हैं. फांडु रोड, अफगान कॉलोनी, नासिर बाग रोड, बोर्ड बाजार, उरमर और चमकानी जैसे इलाकों में बहुत सारे स्कूल और कॉलेज बंद हो गए हैं.
क्या है अफगान शरणार्थियों का इतिहास
1980 के दौरान हो रहे सोवियत-अफगान युद्ध की वजह से कई अफगानिस्तान के नागरिक पाकिस्तान चले आए थे. जिसके बाद पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की मौजूदगी राजनीतिक और सुरक्षा का मुद्दा रहा है.
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2023 में पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान के उन लोगों को देश से डिपोर्ट करना शुरू किया था जिनके पास गैर-दस्तावेज थे. हालांकि, बाद में इसे सभी अफगानिस्तान नागरिकों के लिए लागू कर दिया गया.