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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने दिखाए तेवर, कहा- तालिबान के खिलाफ मजबूती से लड़ेंगे

अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के फैसले के बाद तालिबान का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है. अफगान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है.

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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तालिबान के खिलाफ मजबूती से लड़ती रहेगी सरकार
  • अफगान के ज्यादातर हिस्सों में तालिबान का कब्जा

अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के फैसले के बाद तालिबान का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है. अफगान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है और काबुल से महज 90 किलोमीटर दूर है. तालिबान से चल रही जंग के बीच खबरें आ रही थीं कि अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, लेकिन अफगान सरकार ने डट कर मुकाबला करना तय किया है. सूत्रों ने बताया है कि गनी इस्तीफा नहीं देंगे. राष्ट्रपति गनी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर एक अहम बैठक की, जिसमें तालिबान से मजबूती से लड़ने का फैसला लिया गया.

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गनी लंबे समय से तालिबान के सामने डट कर मुकाबला करते रहे हैं और तालिबानी लड़ाकों को भगाने की रणनीति तैयार करते रहे हैं. तालिबान की कई मांगों में से एक मांग अशरफ गनी को पद से हटाए जाने की भी रही है. वहीं, पाकिस्तान भी अशरफ गनी के पद से हटाए जाने का समर्थक रहा है.

अफगानिस्तान में तालिबान हर बीतते दिन के साथ और मजबूत होता जा रहा है. तालिबान के लड़ाके कई बड़े शहरों को अपने कब्जे में ले चुके हैं. इसके अलावा, सरकार के कई अधिकारियों को भी तालिबान ने अपने कब्जे में लिया है. अफगान के कंधार, गजनी, हेरात, हेरात आदि पर अब पूरी तरह से तालिबान की पकड़ हो गई है. कम से कम 12 प्रांत अब तालिबान के कब्जे में हो गए हैं. 

'तालिबान से करते रहेंगे मुकाबला' 

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अफगानिस्तान सरकार ने कहा है कि वह तालिबानियों के खिलाफ लड़ती रहेगी. उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने ट्वीट कर कहा, ''राष्ट्रपति अशरफ गनी की अध्यक्षता में शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर बैठक की गई. इस बैठक में दृढ़ विश्वास और संकल्प के साथ तय किया गया कि हम तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे और हर तरह से राष्ट्र को मजबूत करने के लिए सब कुछ करते हैं. हमें अपने ANDSF पर गर्व है.''

अमेरिका अफगानिस्तान में दो दशकों तक तालिबान से लड़ने के बाद अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है. अफगान से बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक अपने देश वापस लौट चुके हैं, जबकि सितंबर में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद तालिबान ने और तेजी से अफगान में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे. महज कुछ ही हफ्तों में देश के बड़े हिस्सों पर कब्जा भी जमा लिया.

वहीं, पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा है कि अफगानिस्तान में बदलते हालात को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान में फंसे पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के लिए वीजा नीति में ढील देने का फैसला किया है. अंतरराष्ट्रीय पत्रकार और मीडियाकर्मी जो पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं. वे पाकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन करें. गृह मंत्रालय इन अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों और कामगारों को प्राथमिकता के आधार पर वीजा जारी करेगा.उधर, भारत भी अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए तेजी से काम कर रहा है. पिछले दिनों विदेश मंत्रालय ने वहां रह रहे नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर वापस देश लौटने के लिए कहा था. इसके अलावा, वॉट्सऐप नंबर भी जारी किया था, जिससे मजार-ए-शरीफ से भारत आने वाली फ्लाइट की जानकारी दी गई थी. इस फ्लाइट के जरिए से तकरीबन 50 भारतीय नई दिल्ली पहुंचे थे.

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तालिबान ने ठुकराया सत्ता में भागीदार बनने का ऑफर

सत्ता पर पकड़ कमजोर होता देख बीते दिन अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान के साथ सत्ता में साझेदार बनने की पेशकश की थी. सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार ने हिंसा रोकने के लिए यह प्रस्ताव मध्यस्थता कर रहे कतर को भेजा है. हालांकि, तालिबान ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और अशरफ गनी के साथ सत्ता में भागीदार बनने से इनकार कर दिया. तालिबान अफगान पर पूरी तरह से अपना कब्जा चाहता है और इसीलिए वह अशरफ गनी को सत्ता से बाहर करने की लड़ाई लड़ रहा है. 

 

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