इजरायल ने ईरान के 1 अक्टूबर के हमले के बाद इसका जवाब दिया है. करीब 26 दिनों से जो आशंका बनी हुई थी वो आखिर सच हुई. इस बार इजरायल ने सिर्फ ईरान को निशाना बनाने की जगह इराक और सीरिया पर भी बम बरसाए हैं. इराक और ईरान के साथ-साथ इजरायल ने भी फिलहाल अपना एयर स्पेस यात्री फ्लाइट्स के लिए बंद कर कर दिया है. इजरायल के हमले को लेकर ईरान की ओर से पहला आधिकारिक बयान आया है. ईरान एयर डिफेंस ने माना है कि इजरायल ने तेहरान, कुजेस्तान और इलम प्रांत में कुछ मिलिट्री ठिकानों के हिस्से को टारगेट किया है.
जानकारी के मुताबिक इजरायल ने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला बोला है. इजरायल का दूसरा और तीसरा टारगेट मिसाइल और ड्रोन के बेस के साथ साथ प्रोडक्शन साइट रहे. ईरान की प्रतिक्रिया उस हमले के जवाब में आई है जो इजरायल ने आधी रात को किया. इजरायल ने ईरान के कई शहरों में रॉकेट और बम बरसाए हैं. इजरायल के 100 जंगी जहाज ईरान के एयरस्पेस में घुस गए और बडा हमला किया. इजरायल की सेना ने ईरान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है. ईरान के अलावा सीरिया और इराक को भी निशाना बनाया गया है.
इजरायल ने इस हमले का लिया बदला
ईरान ने इजरायल के शहरों पर 1 और 2 अक्टूबर की दरमियानी रात को एक के बाद एक कुल मिलाकर 180 बैलेस्टिक मिसाइलें दागी थीं. इजरायल के आसमान पर इन मिसाइलों का हमला डरावना दिख रहा था. ये हमला बिना उकसावे के हुआ था. ईरान ने इजरायल पर इस साल दो बड़े हमले किए. पहला हमला अप्रैल में हुआ था जब 130 मिसाइलें दागी गई थीं. दूसरा हमला अक्टूबर में हुआ था जब 180 मिसाइलें दागी गईं. और यही दो हमले ईरान को अब भारी पड़ रहे हैं. दोनों देशों के बीच बयानबाजी भी तेज है.
हमले के बाद इजरायल-ईरान में बयानबाजी तेज है. इजरायली सेना ने ईरान को धमकी देते हुए कहा है कि अगर ईरान अब ईरान कोई प्रतिक्रिया देने की कोशिश करता है तो हम हर तरह से तैयार हैं. वहीं ईरान के सांसद अहमद अज्जाम ने कहा कि हमारे पास आत्मरक्षा के सारे अधिकार हैं. इस बीच एयरस्ट्राइक पर अमेरिका समेत दूसरे देशों के रुख पर भी सभी की नजरें टिकी हैं. इजरायली मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि अमेरिका ने भी ईरान को पलटवार न करने के लिए कहा है.
अमेरिका और ब्रिटेन की ईरान की सलाह
वाइट हाउस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि प्रतिक्रिया आनुपातिक थी. हमने ईरान को संदेश भेजा कि अगर वह जवाब देता है तो हम इजरायल की रक्षा करेंगे. ईरान में सैन्य ठिकानों पर इजरायल के हमले लक्षित और आनुपातिक प्रतीत होते हैं. अब उनके बीच गोलीबारी का अंत हो जाना चाहिए. वहीं ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर कीर स्टार्मर ने इरान को आगाह किया है कि पलटवार करने से बचें और बदले का खयाल दिमाग से निकालें.
मुस्लिम देशों की क्या रही प्रतिक्रिया?
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा हमले की निंदा की है. उसने कहा कि अरब ईरान को निशाना बनाने वाले इजरायली सैन्य हमले की निंदा करता है. यह ईरानी संप्रभुता का उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. वहीं मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया. बयान में कहा गया, 'मलेशिया शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और हिंसा के चक्र को समाप्त करने का आह्वान करता है. मध्य पूर्व के देशों पर इजरायल के लगातार हमले इस क्षेत्र को व्यापक युद्ध के कगार पर ला रहे हैं.'
पाकिस्तान ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा, 'संघर्ष के बढ़ने और विस्तार के मौजूदा चक्र के लिए इजरायल पूरी तरह जिम्मेदार है.'
यूरोपीय नेताओं ने किया संयम बरतने का आह्वान
ईरान के सैन्य ठिकानों पर इजरायल द्वारा जवाबी हमले किए जाने के बाद यूरोपीय नेताओं ने संयम बरतने का आग्रह किया है. पढ़ें किसने क्या कहा-
फ्रांस: फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में लिखा कि आगे और तनाव न बढ़े, इसके लिए चेतावनी दी. बयान में कहा गया "फ्रांस को ईरान में सैन्य ठिकानों पर इजरायल द्वारा हमले की घोषणा के बारे में पता चला है. फ्रांस ने तुरंत पक्षों से आग्रह किया कि वे क्षेत्र में व्याप्त अत्यधिक तनाव के संदर्भ को बढ़ाने वाली किसी भी कार्रवाई या तनाव को बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचें."
स्विट्जरलैंड: देश के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान में लिखा, "स्विट्जरलैंड मध्य पूर्व में हिंसा के खतरनाक रूप से बढ़ने की निंदा करता है, जिसमें आज ईरान में इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमले भी शामिल हैं. क्षेत्रीय तनाव को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए सभी पक्षों की ओर से शत्रुता समाप्त होनी चाहिए."
जर्मनी: चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने जोर देकर कहा कि इजरायल ने कहा था कि उन्होंने हमलों के दौरान व्यक्तिगत चोट को कम करने की कोशिश की, और कहा कि इससे तनाव को और अधिक बढ़ने से रोकने का अवसर मिलता है. ईरान के लिए मेरा संदेश स्पष्ट है है कि उग्रता की व्यापक प्रतिक्रियाएं जारी नहीं रहनी चाहिए. इसे अब समाप्त होना चाहिए. तब मध्य पूर्व में शांतिपूर्ण विकास का अवसर मिलेगा."