चीन और बांग्लादेश ने शुक्रवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बीच महत्वपूर्ण बैठक के बाद नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस बैठक में यूनुस ने ढाका में हुए छात्र आंदोलनों का उल्लेख किया, जिससे सत्ता परिवर्तन हुआ था और उन्होंने बीजिंग से शांति और स्थिरता स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया.
बैठक के बाद, दोनों देशों ने आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने, विकास, क्लासिकल साहित्य के अनुवाद और प्रकाशन, सांस्कृतिक धरोहर, समाचार और मीडिया आदान-प्रदान, तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग पर समझौते किए.
यूनुस को जिनपिंग से खास उम्मीदें
यूनुस ने चीन से दोनों देशों के लिए शांति, समृद्धि और स्थिरता स्थापित करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया. उनके इस दौरे को खास ध्यान से देखा जा रहा है क्योंकि वे अगले सप्ताह बैंकॉक में BIMSTEC शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, जहां उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की इच्छा जताई है, हालांकि भारत की ओर से अब तक इस बैठक की पुष्टि नहीं हुई है.
यूनुस ने शी जिनपिंग को बताया कि पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के कारण शेख हसीना सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी, जिससे 'नए बांग्लादेश' के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ. शी जिनपिंग ने चीन-बांग्लादेश की लंबे समय से चली आ रही मित्रतापूर्ण संबंधों की परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि चीन इन संबंधों में स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्ध है और वह ढाका का एक विश्वसनीय पड़ोसी, मित्र और सहयोगी बना रहेगा.
इन समझौतों पर बनी सहमति
यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद, चीन ने बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी की है, जिनमें विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन और कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियां जैसे जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) भी शामिल हैं. इसके अलावा, दोनों देशों ने जल संसाधन प्रबंधन, बाढ़ रोकथाम, नदी की गाद निकासी, जल संसाधन विकास और प्रौद्योगिकी साझाकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.
ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलुंग ज़ंग्बो और बांग्लादेश में जमुना) पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी के आदान-प्रदान के लिए दोनों देशों ने एक कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए. यूनुस ने चीन से बांग्लादेश को दिए जाने वाले ऋण की ब्याज दर को तीन प्रतिशत से घटाकर 1-2 प्रतिशत करने और चीनी वित्तपोषित परियोजनाओं पर प्रतिबद्धता शुल्क माफ करने का अनुरोध किया.
बताते चलें कि चीन बांग्लादेश का चौथा सबसे बड़ा ऋणदाता है, जिसने 1975 से अब तक कुल 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण दिए हैं. शी जिनपिंग ने आश्वासन दिया कि चीन बांग्लादेश में निवेश बढ़ाने और अपने विनिर्माण उद्योगों को वहां स्थानांतरित करने को प्रोत्साहित करेगा. बैठक में व्यापार, कृषि, आधारभूत संरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, रोहिंग्या संकट समाधान और अन्य रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ा जा सके.