संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कश्मीर के मुद्दे पर चीन-पाकिस्तान को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. बुधवार को UNSC में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन समर्थन जुटाने में विफल रहे. इस बैठक में रूस समेत कई सदस्यों ने UNSC की बैठक में कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है. रूस ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि मतभेद को 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के आधार पर द्विपक्षीय प्रयासों के माध्यम से सुलझाया जाएगा.'
दरअसल, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा. चीन ने यह प्रस्ताव पाकिस्तान की अपील पर रखा था, जिसके लिए 24 दिसंबर, 2019 की तारीख तय की गई थी, लेकिन तब मीटिंग नहीं हो पाई थी.
UNSC discussed #Kashmir in closed consultations. Russia firmly stands for the normalisation of relations between #India and #Pakistan. We hope that differences between them will be settled through bilateral efforts based on the 1972 Simla Agreement and the 1999 Lahore Declaration
— Dmitry Polyanskiy (@Dpol_un) January 15, 2020
चीन ने कश्मीर मामला UNSC की मीटिंग के दौरान उठाया, जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है. रूस की तरफ से द्विपक्षीय स्तर पर मामला सुझलाने का सुझाव दमित्री पोलिंस्की ने दिया है. पोलिंस्की UNSC में रूस के पहले स्थायी प्रतिनिधि हैं.
चीन के अनुरोध के बावजूद फ्रांस ने इस मुद्दे पर अपनी पहले की स्थिति को दोहराया, जिसमें उसका कहना है कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान की ओर से द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना चाहिए. इससे पहले विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा था कि वे यूएनएससी के घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और अगर चीन, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा चलाता है तो इससे निपटने के लिए वे तैयार हैं.