अफगानिस्तान पर तालिबान को कब्जा जमाए छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार का गठन नहीं हुआ है. इसके लिए तालिबान के शीर्ष नेतृत्व के बीच लगातार बातचीत जारी है. तालिबान ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में से सिर्फ एक पंजशीर को छोड़कर सब पर कब्जा जमा लिया है. पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. पंजशीर से ही तालिबान के खिलाफ नया नेतृत्व बनता हुआ दिखाई दे रहा है.
पंजशीर से सामने आ रहीं रिपोर्ट्स की मानें तो आगामी सरकार को लेकर अहमद मसूद और तालिबान के बीच में बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक कोई भी समझौता नहीं हुआ है. बता दें कि अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी तालिबान के खिलाफ रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने सोवियत संघ को भी देश से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी. तालिबान और अलकायदा ने साल 2001 में साजिश रचते हुए अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी.
जुलाई, 1989 में अहमद मसूद का जन्म हुआ और तभी से उन्होंने अफगानिस्तान में पल-पल संघर्ष करते हुए देखा है. उन्होंने अपने पिता को लंबी लड़ाई लड़ते भी देखा, जिसकी वजह से वर्तमान हालात उनके लिए कुछ अजनबी जैसे नहीं हैं. उन्होंने ईरान से पढ़ाई की है और फिर ब्रिटिश आर्मी मिलिट्री एकेडमी, सैंडहर्स्ट से मिलिट्री का कोर्स भी किया.
हेरात में एक साथ लड़के-लड़कियों की पढ़ाई पर रोक
वहीं, काबुल पर काबिज होने के बाद से महिलाओं के हक की बात करने वाला तालिबान अब अपने असली रूप में आ गया है. तालिबान ने हेरात के सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में लड़के-लड़कियों के साथ पढ़ने पर रोक लगा दी है. तालिबान ने इसे समाज में व्याप्त सभी बुराइयों की जड़ बताया है.
खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने शनिवार को बताया कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, निजी संस्थानों के मालिकों और तालिबान अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है. पिछले हफ्ते अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने के बाद तालिबान द्वारा जारी किया गया यह पहला फतवा है. मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने वादा किया था कि तालिबान अधिक उदार रुख को दिखाते हुए इस्लामी कानून के तहत मिलने वाले महिलाओं को अधिकार देगा और उन्हें शिक्षा लेने देगा.