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आया समंदर का शहंशाह 'INS विक्रांत’, डर गया 'ड्रैगन'!

भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत से चीन में चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां के रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस पोत से भारतीय नौसेना को प्रशांत महासागर में अपनी पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत
भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत

भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत से चीन में चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां के रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस पोत से भारतीय नौसेना को प्रशांत महासागर में अपनी पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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चीन के नौसैन्य अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष सीनियर कैप्टन झांग जुनशे ने सरकारी चैनल सीसीटीवी से कहा, ‘इससे भारतीय नौसेना को खासी ताकत मिली है. इससे अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के बाद भारत पांचवां ऐसा देश बन गया है जिसके पास इस तरह की क्षमता होगी.’

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना चीन पर बढ़त कायम कर लेगी क्योंकि इस साल के आखिर तक उसके पास दो विमान वाहक पोत होंगे. भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रमादित्य रूस से मिल जाएगा और यह आईएनएस विराट के साथ भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगा. विक्रांत के 2018 तक परिचालन में आने की उम्मीद है.

झांग ने कहा, ‘इसका मतलब यह है कि भारत इस साल के आखिर तक एशिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जिसके पास दो विमानवाहक पोत होंगे. इससे भारतीय नौसेना की संपूर्ण ताकत और खासकर शक्ति प्रदर्शन की क्षमताओं में इजाफा होगा.’

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झांग ने इस क्षेत्र में विमानवाहक पोतों की संख्या बढ़ाने की होड़ लगने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि भारत और चीन के पास अधिक पोत का होना सही है क्योंकि दोनों विशाल तटीय इलाके से जुड़े हैं और दोनों की आबादी बहुत ज्यादा है. पिछले साल चीन ने अपने पहले विमानवाहक पोत ‘लियोनिंग’ का जलावतरण किया था. इस पोत की वाहक क्षमता 50,000 टन है तथा इस पर एकसाथ करीब 30 विमान मौजूद रह सकेंगे.

खबर है कि चीन दो और विमानवाहक पोतों का निर्माण कर रहा है, हालांकि इससे संबंधित विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.

इससे पहले झांग ने सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ से कहा था कि विक्रांत की मदद से भारतीय नौसेना समुद्री क्षेत्र में काफी दूर तक गश्त लगाने में सक्षम हो जाएगी.

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