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अल-कायदा बांग्लादेशी रोहिंग्याओं को बना रहा है जिहादी, आतंकी सदस्यों के रूप में कर रहा है भर्ती

बांग्लादेशी CTTC के अतिरिक्त आयुक्त मोहम्मद असदुज्जमां ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि फखरूल समेत ये सभी गिरफ्तार शख्स रोहिंग्या कैंपो में ना सिर्फ बड़े पैमाने अल-कायदा के लिए भर्ती कर रहे थे, बल्कि इन्हें हिथियारों की ट्रेनिंग भी दे रहे थे और इसमें काफी हद तक सफल भी हुए थे.

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फखरूल इस्लाम और अन्य को ढाका में आतंकवाद विरोधी पुलिस मुख्यालय में मीडिया के सामने पेश किया गया. (फोटो- DMP)
फखरूल इस्लाम और अन्य को ढाका में आतंकवाद विरोधी पुलिस मुख्यालय में मीडिया के सामने पेश किया गया. (फोटो- DMP)

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में आतंकी संगठन अल-कायदा बड़े पैमाने पर देश के रोहिंग्याओं को अपनी फ्रेंचाइजी के जरिए जिहादी एजेंडे के लिए भर्ती कर रहा है. इस बात का खुलासा बंग्लादेश के काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांसनैशनल क्राइम (CTTC) ने किया है.  

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बांग्लादेशी अधिकारियों ने प्रतिबंधित जिहादी संगठन हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (HuJI-B) के एक शीर्ष नेता फखरूल इस्लाम (58) समेत करीब 6 लोगों को राजधानी ढाका से गिरफ्तार करने का दावा किया, जो डोनेशन के नाम पर पैसों का लालच देकर अल-कायदा के लिए रोहिंग्याओं की भर्ती कर रहे थे.  

CTTC ने 27 जनवरी, 2023 को एक प्रेस कांफ्रेंस में ये दावा किया कि उन्होंने फखरूल इस्लाम के अलावा उसके बेटे सैफुल इस्लाम (24), सुरुज्जमां (45), अब्दुल्ला-अल-मामून (46), दीन इस्लाम (25) और मोहम्मद अब्दुल्ला-अल-मामून (46) को ढाका के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर गिरफ्तार किया है.   

बांग्लादेशी CTTC के अतिरिक्त आयुक्त मोहम्मद असदुज्जमां ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि फखरूल समेत ये सभी गिरफ्तार शख्स रोहिंग्या कैंपो में ना सिर्फ बड़े पैमाने अल-कायदा के लिए भर्ती कर रहे थे, बल्कि इन्हें हिथियारों की ट्रेनिंग भी दे रहे थे और इसमें काफी हद तक सफल भी हुए थे.  

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फखरूल इस्लाम जा चुका है पाकिस्तान, लादेन से ले चुका है ट्रेनिंग 

CTTC के मुताबिक फखरुल इस्लाम अफगानिस्तान का दौरा भी कर चुका है. फखरुल 1988 में अफगान युद्ध में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गया था तब वह सिर्फ 24 साल का था. इसके बाद पाकिस्तान, ईरान में कई साल बिताए और अफगानिस्तान के कंधार में एके -47 राइफल, सबमशीन गन (SMG) और यहां तक ​​कि रॉकेट लॉन्चर चलाने की ट्रेनिंग ली. वो SMG असेंबल करने में इतना माहिर हो गया कि एक सबमशीन गन सिर्फ 30 सकेंड में असेंबल कर लेता है. इन 10 सालों के दौरान वो तब के अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर सहित कई तालिबान नेताओं से मिला. 10 साल बाद बांग्लादेश लौट आया. फखरुल ने वापस आने के बाद हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी-बांग्लादेश में शामिल हो गया और अब उसकी गिरफ्तारी हुई है. 

पाकिस्तान

हाल में ही उसने इस संगठन की कमान संभाली थी. अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए किसी बड़े आतंकी हमले की फिराख में था. CTTC ने बताया कि फखरूल इस्लाम बांग्लादेश में प्रमुख जगहों पर "बड़े उग्रवादी हमले" करने की योजना बना रहा था और ये बांग्लादेश एजेंसियों को ये संदेश देना चाह रहे थे कि HuJi का अभी तक सफाया नहीं हुआ है. CTTC के अधिकारी बताया कि अपने सदस्यों को ट्रेनिंग देने के लिए 10 पन्नों का एक दस्तावेज दिया था और इसके जरिए घर पर बम और टाइम-बम बनाना सिखा रहा था. 

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क्या है हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी?

हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) का अर्थ है इस्लामिक जिहाद आंदोलन या इस्लामिक पवित्र युद्ध का आंदोलन. HuJI की सबसे सक्रिय इकाई हूजी-बांग्लादेश या HuJI-B की स्थापना 1992 में ओसामा बिन लादेन के इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट (IIF) की मदद से की गई थी और शुरुआती वर्षों में फजलुर रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश में जिहाद आंदोलन के माध्यम से संचालित हो रहा था.  

HuJI की स्थापना अफगानिस्तान में सोवियत सैनिकों से लड़ने के लिए कराची के कारी सैफुल्ला अख्तर और उनके सहयोगियों द्वारा की गई थी. मूल रूप से इसे जमीयत अंसारुल अफगानीन (JAA) यानी अफगान लोगों के दोस्तों की पार्टी भी माना जाता था. 1984 में, JAA ने अपना नाम बदलकर हरकत-उल-जिहादी अल-इस्लामी कर लिया, और 1989 में, अफगान-सोवियत युद्ध के अंत में, इस संगठन ने भारतीय के जम्मू और कश्मीर में अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू किया. 

ये संगठन 1990 के दशक की शुरुआत से दक्षिण एशियाई देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत में सबसे अधिक सक्रिय था. बाद में कुछ देशों द्वारा इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया. 1990 के दशक की शुरुआत में HuJi के सदस्य फजलुर रहमान खलील ने एक अलग आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuA) बनाया, हालांकि 1993 में पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी ISI के इशारे और देवबंदी मौलवियों के दबाव में HuJI ने HuM के साथ सेना को जोड़ा और जम्मू-कश्मीर में आतंकी ऑपरेशन शुरू करने के लिए हरकत-उल-अंसार (HuA) का गठन किया. 

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1990 के दशक की शुरुआत में, HuJI को जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तानी सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) ने वित्तीय और रसद सहायता दी. जम्मू-कश्मीर में HuJI का संचालन 1991 में मोहम्मद इलियास कश्मीरी के नेतृत्व में शुरू हुआ.  

हूजी (HuJI) के ऑपरेशनल कमांडर इलियास कश्मीरी को अमेरिका ने 4 जून 2011 को दक्षिण वजीरिस्तान में ड्रोन हमला कर मार गिराया था. इलियास कश्मीरी अल-कायदा का आतंकी भी था और 13 फरवरी 2010 को पुणे में हुए जर्मन बेकरी बमबारी का मास्टरमाइंड था.  

1997 में अमेरिका द्वारा HuA को एक आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने के बाद, समूह अलग हो गया और अधिकारियों से बचने के लिए स्वतंत्र रूप से काम करने लगा.  

 

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