मुस्लिम बहुल अल्जीरिया में खाद्य तेल की भारी कमी हो गई है. दुकानों पर तेल मिलना बेहद दुर्लभ हो गया है. लोगों का कहना है कि अल्जीरिया में तेल खरीदना ड्रग्स खरीदने जितना मुश्किल हो गया है. जिन लोगों की दुकानदारों से जान-पहचान है, उन्हीं लोगों को बहुत जद्दोजहद के बाद तेल मिल पा रहा है. तेल के अलावा दूध और सब्जियों के लिए भी लोगों को भटकना पड़ रहा है. यूक्रेन संकट ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है और रमजान के पहले लोग खाद्य तेल और दूध के लिए भटकते दिख रहे हैं.
31 वर्षीय समिहा समर केक बनाकर साइड इनकम किया करती थीं. लेकिन अब उन्हें केक बनाने के लिए दूध, तेल सहित सभी जरूरी सामान नहीं मिल पा रहा है. बीबीसी वर्ल्ड से बातचीत में वो कहती हैं, 'ऐसा लगता है जैसे हम ड्रग्स खरीदने निकले हों. अगर किसी दुकान से खाने का तेल खरीदना है तो जरूरी है कि आप उस दुकानदार को जानते हो.'
तेल को दुकानों में छिपाकर रखा जाता है और गुप्त तरीके से उसकी खरीद-बिक्री हो रही है.
रमजान को लेकर लोगों की बढ़ी चिंता
इसी हफ्ते के अंत में मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान भी शुरू होने वाला है. इस पूरे महीने मुसलमान दिन के वक्त उपवास करते हैं. सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले खाना खाते हैं. उपवास तोड़ने के बाद के खाने में विभिन्न प्रकार के तेल और दूध से बने व्यंजन शामिल होते हैं. लेकिन रमजान से पहले तेल और दूध की बढ़ी कीमतों ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है.
समिहा समर ब्लिडा में रहती है लेकिन फल और सब्जियां कम कीमत पर खरीदने के लिए कभी-कभी पास के शहर कोलिया चली जाती हैं. यहां फल-सब्जियां अपेक्षाकृत कम दाम पर मिल जाती हैं.
दूध के लिए लग रही लंबी लाइनें
अल्जीरिया में आलू पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक महंगा हो गया है. दूध की दुकानों पर तड़के सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें दिख रही हैं.
समिहा समर ने दुखी स्वर में कहा कि वो भी पहले दूध के लिए लंबी कतारों में खड़ी होती थी लेकिन धक्का-मुक्की के कारण उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया है. वो कहती हैं, 'मैंने अब ऐसा करना बंद कर दिया है क्योंकि भीड़ बहुत होती है और एक-दूसरे को धक्का देकर लोग आगे बढ़ते हैं. कभी-कभी अपने हिस्से के दूध के लिए लड़ना भी पड़ता है. ये बेहद अपमानजनक है.'
अल्जीरिया में दूध का ज्यादा उत्पादन नहीं होता. इसलिए फ्रांस और अन्य यूरोपीय संघ के देशों से देश में दूध का आयात किया जाता है. हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से भी अल्जीरिया ने दूध खरीदना शुरू किया है.
दूध को इन देशों से पाउडर के रूप में आयातित किया जाता है और स्थानीय कारखानों में इसे तरल बनाया जाता है. सरकार सब्सिडी पर दूध बेचती है. एक किलो सब्सिडी वाले दूध की कीमत 25 दीनार (13.31 रुपये) है जबकि बिना सब्सिडी वाले एक किलो दूध के लिए 420 दिनार (224 रुपये) देने पड़ते हैं.
खाद्य तेल ने बढ़ाई सबसे ज्यादा परेशानी
खाद्य तेल को लेकर हालांकि अल्जीरिया के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. दूध की तरह ही तेल पर भी सरकार सब्सिडी दे रही है. लेकिन तेल जो पहले से ही महंगा था, इस वक्त और महंगा हो गया है. पांच लीटर खाद्य तेल के एक डिब्बे के लिए लोगों को अब 600 दिनार (319 रुपये) देने पड़ रहे हैं.
अल्जीरिया जहां प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की औसत सैलरी 18 हजार है, उनके लिए इतना महंगा तेल और दूध खरीदना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. सरकारी अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वो कीमतें कम करने के लिए जल्द कुछ कार्रवाई करें.
अल्जीरिया में जमाखोरी और भ्रष्टाचार बढ़ा
इस बीच अल्जीरिया में जमाखोरी और भ्रष्टाचार में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई है जिससे संबंधित एक रिपोर्ट संसदीय चयन समिति ने पेश की है. समिति के सदस्य हिशाम सफर ने बीबीसी को बताया कि जो व्यापारी सरकार को तेल की आपूर्ति करते हैं वो तेल में कृत्रिम तरीके से मिलावट करके उसकी मात्रा को बढ़ा देते हैं. यही तेल लोगों को सब्सिडी पर दिया जाता है.
पिछले साल इस तरह के एक लाख 50 हजार मामले सामने आए थे. सरकार ने मामले सामने आने के बाद हजारों व्यापारियों के परमिट जब्त कर लिए थे. अल्जीरिया के पड़ोसी देशों में सब्सिडी वाले सामान की तस्करी भी एक बड़ी समस्या है.
सूत्रों ने बताया कि अल्जीरिया से माली और नाइजर में हर दिन 12 लॉरी खाद्य तेल की तस्करी होती है. तस्करों को प्रति लॉरी 13 लाख 52 हजार 644 रुपये का फायदा होता है.
खाद्यान्नों के संकट को देखते हुए अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमदजीद तेब्बौने ने इस महीने की शुरुआत में किसी भी खाद्य पदार्थ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. अल्जीरिया में खाना पकाने का तेल, चीनी, पास्ता, सूजी और अन्य गेहूं उत्पाद आयातित किए जाते हैं और इन सामानों की अवैध तस्करी को देखते हुए सरकार ने ये रोक लगाई है.