संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ शुक्रवार से अपना एक्शन शुरू कर दिया है. साथ ही अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने शनिवार को हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई और जमीन पर 10 अलग-अलग जगहों पर 30 से ज्यादा ठिकानों पर हमला किया.
इस हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया है. बयान में उन्होंने कहा कि हमारा मकसद लाल सागर में शांति बनाए रखना है, क्योंकि वहां से गुजरने वाले शिप को लगातार खतरों का सामना करना पड़ रहा है.
'अमेरिका समेत 8 देशों ने किया हमला'
यूएस के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की सेनाओं ने शनिवार को हूती के नियंत्रित क्षेत्रों कई हमले किए. इन अतिरिक्त हमले करने में अमेरिका और ब्रिटेन को ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड से भी समर्थन मिला है.
'लाल सागर में शांति चाहते हैं हम'
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की सेनाओं ने यमन में हूती विद्रोहियों के नियंत्रित 13 स्थानों पर 36 ठिकानों को निशाना बनाया. ये सामूहिक कार्रवाई हूती विद्रोहियों को साफ संदेश है. हमारा उद्देश्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में शांति बनाए रखना है और विश्व के महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक की रक्षा करने में बिलकुल भी नहीं सोचेंगे. इन हमलों का मकसद ईरान समर्थित हूती मिलिशिया की शक्ति को नुकसान पहुंचाना है, जिससे अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय जहाजों के खिलाफ हो रहे लगातार हमलों को बंद किया जा सके.
शुक्रवार को भी किए थे हमले
वहीं, शुक्रवार को अमेरिका ने इराक और सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और मिलिशिया के 85 से ज्यादा ठिकानों पर हमले किए थे, जिसमें करीब 40 लोगों की मौत होने की बात कही जा रही है.