scorecardresearch
 

G-20 की बैठक में भारत को झेलनी होंगी ये मुश्किलें

भारत चाहता है कि जी-20 की आगामी बैठक में विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर बात हो. लेकिन माना जा रहा है कि इस बैठक में भी पिछली बैठक की तरह यूक्रेन का मुद्दा हावी रहने वाला है. अमेरिका चीन के बीच तनाव का असर भी इस बैठक पर पड़ने वाला है.

Advertisement
X
भारत इस साल जी-20 की मेजबानी कर रहा है (Photo- Reuters)
भारत इस साल जी-20 की मेजबानी कर रहा है (Photo- Reuters)

बेंगलुरु में जी-20 की असफल बैठक के बाद सदस्य देशों के वित्त मंत्री 1-2 मार्च को एक बार फिर मिल रहे हैं. राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाली इस बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन के बीच का तनाव हावी रहने वाला है, फिर भी भारत को उम्मीद है कि इस बैठक में जलवायु परिवर्तन और तीसरी दुनिया के देशों पर बढ़ते कर्ज जैसे मुद्दों की अनदेखी नहीं की जाएगी. भारत पिछली बार की तरह इस बार भी यह नहीं चाहता कि बैठक में यूक्रेन का मुद्दा हावी रहे.

Advertisement

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इस सप्ताह की बैठक का ध्यान जलवायु परिवर्तन और विकासशील देशों के कर्ज जैसे मुद्दों पर केंद्रित करना चाहती है. 

अधिकारी ने कहा कि भारत नहीं चाहता कि इस बैठक में यूक्रेन का मुद्दा हावी रहे, लेकिन यह एजेंडे में सबसे ऊपर रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण एशिया के लिए अपनी आवाज और प्रासंगिक मुद्दों को उठाना जारी रखेगा.

अमेरिका, रूस के विदेश मंत्री होंगे शामिल

जी-20 की नई दिल्ली की बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली शामिल होंगे. उम्मीद है कि चीन भी अपने विदेश मंत्री किन गैंग को इस बैठक में भेजेगा. इस बैठक में अतिथि देशों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे. कुल मिलाकर, दिल्ली की जी-20 बैठक में 40 देशों के प्रतिनिधि और संगठन भाग लेंगे.

Advertisement

माना जा रहा है कि यूक्रेन मुद्दे को लेकर अमेरिका रूस के विदेश मंत्रियों के बीच तनातनी हो सकती है. पिछली जुलाई में बाली में आयोजित जी-20 की विदेश मंत्रियों की बैठक में पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर रूसी हमले की कड़ी निंदा की थी. इसके बाद रूसी विदेश मंत्री बैठक से बाहर चले गए थे.

G-20 ब्लॉक में अमीर G-7 देशों के साथ-साथ रूस, चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और सऊदी अरब सहित अन्य देश शामिल हैं. जी-20 बैठक के बाद क्वाड देशों अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों की भी एक बैठक होने वाली है.

अमेरिका-चीन के बीच तनाव का बैठक पर पड़ेगा असर

सोमवार को चीन ने अमेरिका पर ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को भंग करने का आरोप लगाया था. अमेरिकी P-8A समुद्री गश्ती और टोही सैन्य विमान ने इस संवेदनशील जलमार्ग से उड़ान भरी थी जिसे लेकर चीन ने सख्त आपत्ति जताई थी.

इस महीने अमेरिकी सेना द्वारा एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद से अमेरिका-चीन संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. चीन का एक 'जासूसी गुब्बारा' अमेरिकी क्षेत्र में कई दिनों तक उड़ान भरता रहा जिसके बाद अमेरिका ने उसे मार गिराया था. चीन का कहना था कि गुब्बारा मौसम का जानकारी जुटाने के लिए थे और गलती से अपना रास्ता भटक गया था. अमेरिका द्वारा उसे मार गिराए जाने को लेकर चीन ने सख्त प्रतिक्रिया दी थी.

Advertisement

इस तनाव को देखते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन की निर्धारित चीन यात्रा रद्द कर दी गई थी. अमेरिकी-चीन के बीच तनाव का असर जी-20 का आगामी बैठक में भी दिखने वाला है.

पिछली बैठक में नहीं जारी हुआ था कोई संयुक्त बयान

बेंगलुरु में पिछले हफ्ते आयोजित जी-20 की बैठक में यूक्रेन मुद्दे पर असहमति के कारण कोई संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था. जी-20 के संयुक्त बयान को आखिरी रूप देने के समय चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने से इनकार कर दिया. चीन ने साझा बयान के उस हिस्से पर आपत्ति जताई जिसमें रूस के हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी. रूस ने भी साझा बयान का विरोध किया जिसके बाद बयान जारी नहीं हो सका.

मेजबान भारत को तब वित्त मंत्रियों की बैठक का सार, चेयर्स समरी, पेश करना पड़ा. भारत ने इसमें कहा कि यूक्रेन में मौजूदा हालात और रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर देशों के अलग-अलग आकलन हैं.

भारत ने रूस को लेकर अपनाई है एक कठिन राह

भारत यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने से अब तक बचता रहा है. पीएम मोदी हमेशा से यह कहते आए हैं कि इस समस्या का समाधान कूटनीतिक तरीके से होना चाहिए. उनका कहना है कि यह युग युद्ध का युग नहीं है. भारत ने इस बीच रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल की खरीददारी की है जिस पर पश्चिमी देश आपत्ति जताते रहे हैं.

Advertisement

भारत जी-20 की बैठकों में भी यूक्रेन संकट पर चर्चा नहीं करना चाहता. भारत का कहना है कि यह संगठन विकास मुद्दों पर बात करने के लिए बनी है न कि युद्ध पर बात करने के लिए. इन सबके बावजूद पश्चिमी देशों के कारण यूक्रेन संकट जी-20 की बैठकों में हावी रहा है. 

पूर्व भारतीय राजनयिक और नई दिल्ली के विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में फेलो अनिल वाधवा ने कहा, 'इस सप्ताह की बैठक में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मतभेद एक बार फिर उभरकर सामने आएंगे. इस बात की संभावना नहीं है कि जी20 के विदेश मंत्री यूक्रेन में स्थिति से निपटने के तरीकों और तंत्रों को लेकर सहमत हो पाएंगे. इसके कारण कई हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि यूक्रेन में स्थिति बेहद अस्थिर हो गई है.' 

Advertisement
Advertisement