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अमेरिका के इस फैसले ने बढ़ाई चीन की टेंशन, आतंकवादियों से बड़ा खतरा

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन की ये टिप्पणी उस बयान के बाद आई, जिसमें अमेरिका के रक्षा सचिव मिलर ने पिछले सप्ताह कहा था कि 15 जनवरी तक अफगानिस्तान में उपस्थित 4500 सैनिकों की संख्या को कम करते हुए, 2500 सैनिक किये जायेंगे.

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अमेरिका के इस फैसले से चीन को उइगर आतंकवादियों के बढ़ने का डर.
अमेरिका के इस फैसले से चीन को उइगर आतंकवादियों के बढ़ने का डर.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमेरिका के इस फैसले से चीन को उइगर आतंकवादियों के बढ़ने का डर
  • अमेरिका 4500 से कम कर 2500 सैनिक करेगा अफगानिस्तान में
  • चीन आतंकवाद का मुकाबला करना जारी रखेगा

अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाए जाने से चीन परेशान है. चीन ने अमेरिका से आग्रह किया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को  "व्यवस्थित और जिम्मेदार तरीके" से हटाया जाए. बता दें कि चीन और अफगानिस्तान की सीमा झिंजियांग प्रांत में मिलती हैं. चीन की चिंता है कि अमेरिका द्वारा यहां से सेना हटाये जाने के बाद सुरक्षा स्थिति गंभीर हो सकती है. यहां पर उइगर आतंकवादियों को बढ़ने का मौका मिल सकता है.

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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन की ये टिप्पणी उस बयान के बाद आई, जिसमें अमेरिका के रक्षा सचिव मिलर ने पिछले सप्ताह कहा था कि 15 जनवरी तक अफगानिस्तान में उपस्थित 4500 सैनिकों की संख्या को कम करते हुए, 2500 सैनिक किए जाएंगे. झाओ लिजियन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक हटाए जाने से वहां सुरक्षा स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है. इतना ही नहीं उइगर आतंकवादियों को बढ़ने का मौका मिल सकता है. 

झाओ लिजियन ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि 'चीन ने विदेशी सैनिकों से एक व्यवस्थित और जिम्मेदार तरीके से अफगानिस्तान छोड़ने के लिए अपील की है. वहां आतंकवादी ताकतों को बढ़ने का जगह ना दें और अफगानिस्तान की शांति और सुलह प्रक्रिया में योगदान दें.' इतना ही नहीं चीनी प्रवक्ता ने हाल ही में काबुल में हुए इस्लामिक स्टेट के हमले की भी निंदा की. उन्होंने कहा कि चीन आतंकवाद का मुकाबला करने और राष्ट्रीय स्थिरता व रक्षा के अपने प्रयासों में लोगों को मजबूती से समर्थन देना जारी रखेगा. 

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वहीं अमेरिका के इस फैसले पर जानकारों का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों का तेजी से हटाने का निर्णय नवीनतम योजना का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि इससे चीन की परेशानी बढ़ सकती है. अमेरिका का यह फैसला अलगाववादी आतंकी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) से प्रतिबंध हटाने के बाद आया है.

बता दें कि यूएन की 1267 आतंकवाद निरोधी कमेटी ने 2002 में इस संगठन को अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन तथा तालिबान के साथ जुड़ाव के लिए आतंकवादी संगठन घोषित किया था. हालांकि इस साल 5 नवंबर को ट्रंप प्रशासन ने ईटीआईएम से प्रतिबंध हटा लिया था. 

चीन ने अमेरिका के इस निर्णय पर कहा कि "ईटीआईएम से लड़ना एक अंतरराष्ट्रीय आम सहमति है और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है". चीन ने आरोप लगाते हुए कहा कि ईटीआईएम बीजिंग में फॉरबिडेन सिटी सहित कई प्रांतों में हमलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.

बता दें कि हाल के महीनों में अमेरिका ने झिंजियांग में चीन द्वारा लगभग 12 मिलियन उइगर मुसलमानों के उपचार की आलोचना की थी. हालांकि पिछले साल से चीन संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों की गंभीर आलोचनाओं को झेल रहा है. चीन पर आरोप है कि शिनजियांग में नजरबंद शिविरों में एक लाख से अधिक लोग हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उइगर हैं, जिन्हें धार्मिक अतिवाद से दूर करने की कोशिश की जा रही है.

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