अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने और वहां पर अमेरिकी दूतावास स्थापित करने का अपना फैसला फिलहाल के लिए टाल दिया है. उनके इस फैसले को लेकर बड़े पैमाने पर अशांति का माहौल बन गया था और इसे उनका ऐतिहासिक गलत कदम बताया जा रहा था. व्हाइट हाउस ने कहा कि दूतावास को तेल अवीव से हटाने की जो समयसीमा तय की गई थी, उसका पालन नहीं किया जाएगा.
इससे पहले उनके सहयोगियों ने 48 घंटे तक सार्वजनिक चेतावनियां दी थी और विभर के नेताओं के बीच निजी फोनकॉल हुए थे. अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है लेकिन यह संभव है कि दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करने के फैसले पर आगे ना बढ़ा जाए.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता होगन गिडले ने बताया कि इस संबंध में फैसले की घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी. उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर राष्ट्रपति का रुख साफ है. मामला यह नहीं है कि यह होगा या नहीं, बस इतना है कि यह कब होगा.
इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में यरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इजरायल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बताते हैं. ट्रंप इस फैसले पर विचार कर ही रहे थे उसी दौरान पश्चिम एशिया समेत दुनियाभर के नेताओं ने दशकों पुरानी अमेरिकी नीति से विचलन को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी. इजरायल के रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमान ने ट्रंप से कहा था कि वह इस ऐतिहासिक अवसर को हाथों से जाने ना दें.
फैल जाएगी अशांति
तुर्की के उप प्रधानमंत्री बेकिर बोजदाग ने कहा था कि अगर यरुशलम का दर्जा बदला जाता है और एक और कदम इस दिशा में उठाया जाता है तो यह बड़ी तबाही होगी. इससे क्षेत्र में संवदेनशील शांति प्रक्रिया पूरी तरह नष्ट हो जाएगी और नया विवाद, नए संघर्ष बढ़ेंगे और नए सिरे से अशांति फैल जाएगी.