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बिना कागज वाले भारतीयों की अमेरिका से वापसी पर क्या बोले जयशंकर?

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "मैं समझता हूं कि इस वक्त एक निश्चित बहस चल रही है और इसके परिणामस्वरूप संवेदनशीलता पैदा हो रही है लेकिन हम लगातार इस बारे में दृढ़ रहे हैं, हम इस बारे में बहुत ही सैद्धांतिक रहे हैं. मैंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इस बारे में साफ तौर से बता दिया है."

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही अवैध प्रवासियों पर एक्शन शुरू कर दिया है. इससे अमेरिका में रह रहे वैसे प्रवासी डर में हैं जिनके 'कागज' यानी कि वीजा दस्तावेज पूरे नहीं हैं. इन लोगों ने कानूनी विकल्पों का सहारा लेना शुरू कर दिया है. इसे लेकर भारत में भी चिंता है. इस पर भारत ने अपना रुख साफ किया है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली, अमेरिका सहित विदेशों में 'अवैध रूप से' रह रहे भारतीय नागरिकों की 'वैध वापसी' के लिए तैयार है. इस मुद्दे पर भारत की स्थिति सिद्धांतवादी रही है. 

'हम बहुत सैद्धांतिक रहे हैं...'

जयशंकर ने बुधवार (स्थानीय समय) को वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "हमारा हमेशा से यह मानना ​​रहा है कि अगर हमारे कोई नागरिक यहां कानूनी तौर पर नहीं हैं और अगर हमें यकीन है कि वे हमारे नागरिक हैं, तो हम हमेशा उनके वैध तरीके से भारत लौटने के लिए तैयार हैं." उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि इस वक्त एक निश्चित बहस चल रही है और इसके परिणामस्वरूप संवेदनशीलता पैदा हो रही है लेकिन हम लगातार इस बारे में दृढ़ रहे हैं, हम इस बारे में बहुत ही सैद्धांतिक रहे हैं. मैंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इस बारे में साफ तौर से बता दिया है."

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यह भी पढ़ें: ट्रंप राज में बिना 'कागज' फंस गए 20 हजार भारतीय... कभी भी आ सकता है फाइनल रिमूवल ऑर्डर

हालांकि, जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत दो देशों के बीच 'कानूनी गतिशीलता' का बहुत समर्थन करता है और चाहता है कि भारतीय कौशल और प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर बेहतरीन मौके मिलें.

उन्होंने कहा कि भारत अवैध प्रवास का दृढ़ता से विरोध करता है, यह 'प्रतिष्ठा के लिहाज से अच्छा' नहीं है और इससे कई अवैध गतिविधियां भी होती हैं.

अमेरिका में कितने भारतीयों के पास वैध दस्तावेज नहीं?
अमेरिकी प्रशासन की ओर से तैयार दस्तावेजों के अनुसार अमेरिका में लगभग 18 हजार ऐसे भारतीय हैं जिनके पास अमेरिका में रहने के लिए पर्याप्त वैध दस्तावेज नहीं हैं. ट्रंप प्रशासन ऐसे भारतीयों को नई दिल्ली वापस भेज सकता है. यही नई दिल्ली की चिंता की वजह है. 

यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम इनफोर्समेंट (ICE) के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2024 तक 20407 लोग ऐसे थे जिन्हें अमेरिका 'बगैर दस्तावेजों' अथवा 'अधूरे दस्तावेजों' के बताता है. इन भारतीयों पर ही ट्रंप प्रशासन की पैनी नजर है. इन भारतीयों को लेकर 'फाइनल रिमूवल ऑर्डर' कभी भी आ सकता है. इनमें से 2,467 भारतीय तो यूएस इमिग्रेशन के डिटेंशन कैंप में बंद हैं.  जबकि 17,940 भारतीय को अमेरिका 'पेपरलेस' बताता है. 

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ये आंकड़े ये बताते हैं कि अमेरिकी डिटेंशन कैंपों में रहने वाले भारत के लोग राष्ट्रीयता के आधार पर चौथे नंबर पर हैं. प्यू रिसर्च की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में भारतीय तीसरे ऐसे सबसे बड़े समुदाय हैं जिन्हें अमेरिका बिना दस्तावेज वाले प्रवासी (Undocumented immigrants) मानता है. इस मामले में नंबर एक अमेरिका के पड़ोसी मेक्सिकन और दूसरे नंबर पर सल्वाडोर के नागरिक हैं.

अमेरिका ने वर्ष 2024 में इमिग्रेशन एंड कस्टम इनफोर्समेंट विभाग ने 2 लाख 70 हजार प्रवासियों को 192 देशों में डिपोर्ट किया है. इसमें भारत भी शामिल है.  साल 2024 में अमेरिका ने 1529 'अवैध प्रवासी' भारतीयों को भारत वापस भेजा है. 

यह भी पढ़ें: 'अमेरिका-भारत संबंधों को प्राथमिकता दे रही ट्रंप 2.0 सरकार', क्वाड बैठक के बाद बोले विदेश मंत्री जयशंकर

बता दें कि जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. वे राष्ट्रपति ट्रंप के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र भी लेकर गए थे. डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी.

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