अमेरिका भारत से लगातार यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने के लिए बातचीत कर रहा है. अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि वो रूसी आक्रमण के खिलाफ खड़े होने के लिए भारत के नेताओं के साथ बातचीत कर रहा है. अमेरिका का कहना है कि वो भारतीय नेताओं से रूसी आक्रमण के खिलाफ साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'आप जानते हैं कि हम भारत के नेताओं के साथ अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के कई चैनलों के जरिए संपर्क में हैं. हम भारतीय नेताओं से राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के खिलाफ साथ खड़े होने के लिए लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं.'
भारत रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर अब तक निष्पक्ष रुख अपनाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी रूस के हमले की निंदा से जुड़े कई प्रस्तावों पर वोटिंग हुई जिससे भारत ने दूरी बनाए रखी. भारत हर बार ये कहता रहा है कि कूटनीतिक बातचीत के जरिए मसले को सुलझाया जाना चाहिए.
अमेरिका भी समझता है कि भारत रूस पर अपने रक्षा हथियारों को लेकर बहुत हद तक निर्भर है. अमेरिका की तरफ से पिछले दिनों कई ऐसे बयान सामने आए हैं जिससे स्पष्ट होता है कि वो रूस को लेकर भारत की मजबूरी को समझता है. ये बात भी गौर करने लायक है कि भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में सामरिक सहयोग काफी बढ़ा है.
पिछले हफ्ते अमेरिकी संसद में यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल जॉन क्रिस्टोफर एक्विलिनो ने भारत को बड़ा साझेदार बताया और कहा कि भारत-अमेरिका के सैन्य संबंध शायद अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं.
उन्होंने कहा, 'अमेरिकी के लिहाज से मुझे लगता है कि जब हम हिंद-प्रशांत में अपनी रणनीति के बारे में सोचते हैं तो भारत हमारे लिए एक बेहद जरूरी भागीदार है. ये देखना भी जरूरी है कि हम किस तरह के साझे भागीदार बन रहे हैं और अपने संभावित विरोधियों का सामना कैसे कर रहे हैं.'
हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने भी भारत-रूस संबंधों को देखते हुए भारत के रूस-यूक्रेन युद्ध पर निष्पक्ष रुख पर समझदारी से बयान दिया है. उन्होंने संसद में सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, 'हम समझते हैं कि भारत का रूस के साथ एक जटिल इतिहास और पुराना संबंध रहा है.'