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अमेरिका पर मंडराया 'ब्लैकआउट' का खतरा... क्यों पैदा हुआ बिजली संकट

अमेरिका में बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेटा सेंटर और टेक्नोलॉजी फैक्ट्रियों की बढ़ती संख्या ने बिजली की खपत को बढ़ा दिया है. बिजली कंपनियों का कहना है कि उन्होंने इस तरह की स्थिति का पहले कभी सामना नहीं किया.

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अमेरिका पर ब्लैकआउट का खतरा मंडरा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अमेरिका पर ब्लैकआउट का खतरा मंडरा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अमेरिका के एक बड़े हिस्से पर बिजली का संकट मंडरा रहा है. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि डेटा सेंटर और टेक्नोलॉजी फैक्ट्रियां बढ़ रही हैं, जिस कारण बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ रही है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्जिया में औद्योगिक बिजली की मांग रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रही है. अनुमान है कि यहां अगले एक दशक में बिजली की मांग आज के मुकाबले 17 गुना ज्यादा बढ़ जाएगी. नॉर्थ वर्जीनिया में सभी नए डेटा सेंटर्स के लिए कई बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट की जरूरत है. टेक्सास में भी यही समस्या है.

बढ़ती मांग के कारण फैक्ट्रियों और कंपनियों को अपने खुद के पावर प्लांट बनाने को कहा गया है. जॉर्जिया पब्लिक सर्विस कमिशन के अध्यक्ष जेसन शॉ ने बताया कि ये सबकुछ हैरान कर देने वाला है. इसने एक ऐसी चुनौती पैदा कर दी है, जो हमने पहले कभी नहीं देखी.

बिजली की बढ़ती मांग का बड़ा कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में होने वाले इनोवेशन हैं. इसके लिए कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाए जा रहे हैं, जो पारंपरिक डेटा सेंटर्स की तुलना में बिजली की खपत ज्यादा करते हैं. अमेजन, ऐपल, गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियां नए डेटा सेंटर के लिए नई जगहों की तलाश कर रही हैं. इसके अलावा, क्रिप्टो माइनिंग के लिए भी नए डेटा सेंटर बनाए जा रहे हैं, जिससे पावर स्टेशन पर दबाव बढ़ रहा है.

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स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है. रेगुलेटर्स को इस बात की चिंता भी है कि इससे बिजली महंगी हो सकती है, जिसका सीधा-सीधा असर आम परिवार पर पड़ने की संभावना है.

इंटरनेशन एनर्जी एजेंसी के मुताबिक, 2022 में अमेरिका के 2,700 से ज्यादा डेटा सेंटर्स ने कुल बिजली की 4 फीसदी खपत की थी. 2026 तक ये बढ़कर 6 फीसदी पहुंचने का अनुमान है. अनुमानों से पता चलता है कि डेटा सेंटर्स बिजली की बहुत ज्यादा खपत कर रहे हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, अमेरिका में डेटा सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. अनुमान है कि 2035 तक अमेरिका में एक लाख से ज्यादा डेटा सेंटर्स होंगे. इससे अब जमीन की लड़ाई भी शुरू हो गई है. पहले कंपनियां डेटा सेंटर्स ऐसी जगह बनाती थीं, जहां इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होता था. लेकिन अब कंपनियां उन जगहों पर डेटा सेंटर्स बना रही हैं, जहां पावर स्टेशन बने हैं, ताकि बिजली की कमी न हो.

रियल एस्टेट फर्म JLL में डेटा सेंटर मार्केट के मैनेजिंग डायरेक्टर एंडी क्वेनग्रोस ने अखबार को बताया कि बिजली कंपनियां हमसे कह रही हैं कि हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है? हमने कभी इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया. उन्होंने बताया कि अब सब कंपनियां बिजली की तरफ भाग रही हैं और इसके लिए वो किसी भी जगह जाने को तैयार हैं.

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उन्होंने बताया कि कई जगहों पर जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं. कोलंबस के कई इलाकों में जमीन की कीमत चार गुना तक बढ़ गई है. शिकागो कई कई हिस्सों में जमीन की कीमतों में तीन गुना तक का इजाफा हो गया है.

वॉशिंगटन पोस्ट का कहना है कि ये सब ऐसे समय में हो रहा है, जब सरकार लोगों को जीवाश्म ईंधन की बजाय बिजली का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही है. सरकार लंबे वक्त से कोयले पर चलने वाले पावर प्लांट को भी बंद कर रही है. लेकिन बिजली की बढ़ती खपत के कारण कैनसस, नेब्रास्का, विस्कॉन्सिन और साउथ कैरोलिना में कोयले पर चलने वाले इन पावर प्लांट को बंद करने में देरी हो रही है.

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