अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को ईरान के साथ सहयोग के खिलाफ चेतावनी दी है. ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक अहम प्रोजेक्ट है जो अमेरिकी आपत्तियों के कारण लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. अमेरिका की नई चेतावनी अब पाकिस्तान की चिंता बढ़ाने वाली है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में गैस पाइपलाइन पर टिप्पणी की.
उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, 'ईरान के खिलाफ हम अपने प्रतिबंध जारी रखेंगे. साथ ही, ईरान के साथ बिजनेस डील करने वालों को उन समझौतों के संभावित असर के बारे में पता होना होना चाहिए.'
2010 में हुआ था समझौता, अब तक नहीं बिछी पाइपलाइन
अमेरिका ने लंबे समय से प्रतिबंधों के जरिए ईरान पर दबाव बनाना जारी रखा है जिससे ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.
ईरान-पाकिस्तान ने प्रोजेक्ट की डील साल 2010 में साइन की थी जिसके तहत यह तय हुआ था कि ईरान प्रतिदिन 75 करोड़ से लेकर एक अरब फीट प्राकृतिक गैस पाकिस्तान को सप्लाई करेगा. पाइपलाइन बिछाने के लिए 2014 की डेडलाइन तय की गई थी और गैस आपूर्ति की यह डील 25 सालों के लिए हुई थी.
पाइपलाइन को 1,900 किलोमीटर लंबा बनना था जिसका 1,150 किलोमीटर ईरान और 781 किलोमीटर हिस्सा पाकिस्तान में बिछाया जाना था. पाइपलाइन ईरान के साउथ पार्स गैस फील्ड से पाकिस्तान के ग्वादर तक पहुंचाई जानी थी.
दशक भर से अधिक समय बीत जाने पर भी पाकिस्तान पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू नहीं कर सका है. वहीं, ईरान ने अपने हिस्से की पाइपलाइन का काम लगभग खत्म कर लिया है.
पाकिस्तान का कहना है कि ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण वो इस प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा नहीं कर पाया है. वहीं, इसी साल की शुरुआत में पाकिस्तान ने कहा था कि वो पाइपलाइन की लंबाई केवल 80 किलोमीटर रखेगा.
पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक, प्रोजेक्ट 44 अरब पाकिस्तानी रुपये की लागत से अगले 24 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.
पाकिस्तान को अमेरिका की चेतावनी के साथ आश्वासन भी
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान के साथ सहयोग के खिलाफ चेताते हुए पाकिस्तान को ऊर्जा सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है. उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान की सरकार के साथ ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर बात करते रहे हैं.'
पाकिस्तान जहां ईरान के साथ गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को पूरा करने की नई डेडलाइन तय रह रहा है, वहीं, अमेरिका की इस नई चेतावनी से उसकी मुश्किलें बढ़नी तय है.