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भारत को अमेरिका की चेतावनी- रूस के साथ बढ़ाई दोस्ती तो भुगतना पड़ेगा अंजाम

अमेरिका ने कहा है कि भारत अगर रूस के साथ गठबंधन करता है तो उसे लंबे समय तक भारी कीमत चुकानी होगी. अमेरिका का कहना है कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को सीमित करे. उसका कहना है कि अगर भारत रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता खत्म करता है तो वो भारत को हथियार देगा.

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रूस को लेकर भारत पर बढ़ता अमेरिकी दबाव (Photo- AP)
रूस को लेकर भारत पर बढ़ता अमेरिकी दबाव (Photo- AP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत को अमेरिका की चेतावनी
  • रूस पर भारत के रुख के नाराज अमेरिका
  • रूस-भारत रिश्ते पर की तल्ख टिप्पणी

अमेरिका रूस पर भारत के रुख से बेहद निराश है. बार-बार दबाव बनाने के बावजूद भी जब भारत ने रूस को लेकर अपने निष्पक्ष रुख में बदलाव नहीं किया तो अमेरिका अब धमकी पर उतर आया है. अमेरिका का कहना है कि भारत अगर रूस के साथ गठबंधन करता है तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी.

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष आर्थिक सलाहकार (व्हाइट हाउस नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के निदेशक) ब्रायन डीज ने कहा है कि अमेरिकी प्रशासन ने भारत को रूस के साथ गठबंधन करने के खिलाफ चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका यूक्रेन-रूस युद्ध पर भारत की कुछ प्रतिक्रियाओं से निराश है.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यूज वेबसाइट क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर की तरफ से बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, 'युद्ध के संदर्भ में कई ऐसे मौके रहे हैं जहां हम चीन और भारत दोनों के फैसलों से निराश हुए हैं.'

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत से कहा है कि अगर भारत रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाता है तो भारत को इसके दीर्घकालीन अंजाम झेलने पड़ेंगे.

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर जहां अमेरिका, यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं भारत ने रूसी हमले की आलोचना तक नहीं की है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूसी हमले के निंदा प्रस्तावों पर वोटिंग से भी खुद को दूर रखा है.

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भारत लगातार कहता रहा है कि हिंसा को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए और दोनों पक्षों को कूटनीतिक तरीके से मतभेदों को सुलझाना चाहिए. भारत ने यूक्रेन में मानवीय मदद भी भेजी है. वहीं, रूस भारत को रियायती दरों पर ईंधन तेल ऑफर कर रहा है जिसे लेने के लिए भारत तैयार है. भारत ने रूस से तेल का आयात भी पहले की तरह जारी रखा है.

रूस को लेकर भारत और अमेरिका की अलग लाइन

भारत और अमेरिका पिछले कुछ दशकों से काफी करीब आए हैं और दोनों देशों के बीच का सामरिक और रणनीतिक रिश्ता भी काफी मजबूत हुआ है. चीनी आक्रामकता के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ दिखा है और वो कई बार भारत के पक्ष में बयान भी दे चुका है.

भारत को भी चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका का साथ जरूरी है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के निष्पक्ष और स्वतंत्र रुख से अमेरिका भारत से काफी नाराज हुआ है. अमेरिका ने हर स्तर पर भारत से बात करके उसके रुख में बदलाव की कोशिश की है. कई अमेरिकी अधिकारी भी भारत आए हैं लेकिन इन सबका अब तक कोई फायदा नहीं हुआ है.

पिछले हफ्ते अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह भी भारत आए थे. अपनी भारत यात्रा के दौरान दलीप ने भी भारत पर रूस से संबंधों को आगे न बढ़ाने का आग्रह किया था.

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उनकी यात्रा को लेकर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने हाल ही में कहा, 'अपनी यात्रा के दौरान दलीप ने अपने भारतीय समकक्षों को ये स्पष्ट कर दिया था कि हम रूसी ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात को बढ़ाने को भारत के हित में नहीं मानते हैं.'

भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की तरफ से आ रही इन टिप्पणीयों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

एक अमेरिकी अधिकारी ने बुधवार को रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर नाम न बताने की शर्त पर पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि अमेरिका और जी-7 के बाकी देश भारत के साथ अपना सहयोग जारी रखेंगे और जितना संभव होगा इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे. अधिकारी ने कहा 
कि भारत और अमेरिका खाद्य सुरक्षा और वैश्विक ऊर्जा के बड़े सहयोगी हैं.'

इधर, अमेरिका कहता रहा है कि भारत रूस से अपने संबंधों को प्रगाढ़ ना करे और उसके तेल और रक्षा हथियारों पर अपनी निर्भरता खत्म करे. बदले में वो भारत को हथियार और तेल मुहैया करेगा. लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के इस प्रस्ताव का विरोध किया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि भारत को पाकिस्तान और चीन का मुकाबला करने के लिए रूसी हथियारों की जरूरत है और जो देश हथियार देने के लिए कह रहे हैं, वो काफी महंगा पड़ रहा है. 

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