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अमेरिकी स्कूल में शूटआउट के बीच बहादुरी की कहानियां

अमेरिका के कनेक्टिकट राज्य में एक प्राथमिक स्कूल में हुई गोलीबारी की घटना के बीच बहादुरी की कुछ कहानियां भी सामने आईं. शुक्रवार को हुई इस घटना में 20 बच्चों सहित 28 लोग मारे गए.

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अमेरिका के कनेक्टिकट राज्य में एक प्राथमिक स्कूल में हुई गोलीबारी की घटना के बीच बहादुरी की कुछ कहानियां भी सामने आईं. शुक्रवार को हुई इस घटना में 20 बच्चों सहित 28 लोग मारे गए.

सैंडी हुक एलिमेंट्री स्कूल की प्राचार्या डॉन हॉकस्प्रंग जब एक मीटिंग के बाद कमरे से निकलीं तो उन्होंने अपने सामने एक 20 वर्षीय हमलावर को हाथों में बंदूक उठाए पाया. हमलावर को देखते ही उन्होंने तुरंत अपने साथी शिक्षकों को बाहर न निकलने के लिए कहा.

स्थानीय पत्र 'न्यूटाउन बी' के मुताबिक एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हॉकस्प्रंग पीछे मुड़ीं और उन्होंने दरवाजे बंद करने की चेतावनी दी क्योंकि उनके ठीक सामने हमलावर था. इसके कुछ ही पलों बाद उन्हें गोली मार दी गई.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक इसके बाद स्कूल के ही एक संरक्षक ने गोलियों की बरसात के बीच जाकर यह सुनिश्चित किया कि सभी कक्षाओं के दरवाजे अंदर से बंद हैं या नहीं.

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पुस्तकालय के कर्मचारियों को स्कूल की सार्वजनिक संदेश प्रणाली से पता चला कि इमारत में एक बंदूकधारी घुस आया है.

पुस्तकालय कर्मचारियों ने छात्रों को पुस्तकालय के अंदर ही सुरक्षित रखने की व्यवस्था की और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. यहां तक कि जब पुलिस ने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की तब भी उन्होंने ऐसा नहीं किया. बाद में जब पुलिस ने बच्चों के सुरक्षित ढंग से बाहर निकलने का आश्वासन दिया तब उन्होंने दरवाजा खोला.

स्कूल के कैफेटेरिया के दो कर्मचारी गोलियों की आवाज सुनकर जमीन पर लेट गए और सरकते हुए एक छोटे से कमरे में पहुंच गए, जहां उन्होंने खुद को तब तक बंद रखा जब तक कि उनके लिए मदद नहीं पहुंच गई.

स्कूल की एक नर्स ने अपनी डेस्क के नीचे छुपकर अपनी जान बचाई. उसने उसके कमरे में प्रवेश करते बंदूकधारी के जूते देखे थे. बंदूकधारी कुछ पलों के लिए उसके कमरे में छुपा रहा. इसके बाद स्कूल की विभिन्न कक्षाओं से जुड़े मुख्य स्थल पर पहुंच गया और वहां और गोलीबारी की.

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