आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज की मांग की है. इसके बाद अमेरिका सतर्क हो गया है. अमेरिका को शक है कि पाकिस्तान आईएमएफ से ये सहायता चीन का कर्ज उतारने के लिए मांग रहा है. उसने (अमेरिका) पाकिस्तान से चीन के कर्ज पर पारदर्शिता लाने की मांग की है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप वित्त मंत्री डेविड मालपास ने कांग्रेस से जुड़ी एक कमेटी की सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया कि आईएमएफ की टीम अभी पाकिस्तान से लौटी है. हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कर्ज में पूरी पारदर्शिता हो.
पाकिस्तान कर्ज की शर्तों का खुलासा नहीं करता: मर्कली
इस बाबत अमेरिका के सांसद जेफ मर्कली ने उप वित्त मंत्री डेविड मालपास से पूछा था कि क्या आईएमएफ के कोष का इस्तेमाल चीन का कर्ज उतारने के लिए किया जा रहा है. मर्कली का कहना है कि एक चुनौती ये है कि पाकिस्तान ने ज्यादातर मामलों में अपनी कर्ज की शर्तों का खुलासा नहीं किया है, जिसमें ब्याज दर और उसकी अवधि शामिल है.
पिछले महीने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा था कि पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले उसकी आर्थिक हालत और उस पर कितना कर्ज है, इसकी भी समीक्षा की जाएगी. पाकिस्तान ने दूसरे देशों से कितना और किन शर्तों पर उधार ले रखी है, हम इसकी भी जांच करेंगे.
12 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता चाहता है पाकिस्तान
पाकिस्तान पर चीन का भी करीब 62 अरब डॉलर का कर्ज है. हाल ही में उसने अपने आर्थिक संकट को दूर करने के लिए आईएमएफ से 12 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता (बेलआउट पैकेज) मांगी है. इससे पहले आईएमएफ ने साल 2013 में पाकिस्तान को 6.7 अरब डॉलर की सहायता दी थी. इसी साल पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात के तीन बैंकों से 20 करोड़ डॉलर के कर्ज की भी मांग की थी.
कई परियोजनाएं की गईं बंद
आर्थिक संकट की वजह से पाकिस्तान ने अपनी कई अहम योजनाओं को बंद कर दिया है. इनमें कराची से पेशावर के बीच 8.2 अरब डॉलर की रेल परियोजना भी शामिल है. इसके अलावा कई अन्य परियोजनाएं भी इसलिए रोक दी गई हैं ताकि देश पर कर्ज का बोझ कुछ कम हो सके.