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अफगानिस्तान में फेलियर पर घर में घिरे बाइडेन, पूर्व मिलिट्री अफसरों ने मांगा रणनीतिकारों का इस्तीफा

अफगानिस्तान से सेना की वापसी के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने देश में कई लोगों के निशाने पर हैं. अब अमेरिकी सेना के पूर्व अफसरों ने अफगानिस्तान में अमेरिका के फेलियर पर इस्तीफों की मांग की है. 

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घर में घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो: PTI)
घर में घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान में फेलियर पर निशाने पर जो बाइडेन
  • पूर्व सैन्य अफसरों ने विदेश मंत्री-रक्षा मंत्री का इस्तीफा मांगा

तालिबान (Taliban) ने एक महीने के भीतर ही जिस नाटकीय अंदाज में पूरे अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा कर लिया, उससे पूरी दुनिया हैरान है. अमेरिकी सेना (American Army) की वापसी इसका मुख्य कारण रही, यही वजह है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने ही देश में कई लोगों के निशाने पर हैं. अब अमेरिकी सेना के पूर्व अफसरों ने अफगानिस्तान में अमेरिका के फेलियर पर इस्तीफों की मांग की है. 

रिटायर्ड मिलिट्री अफसरों ने अफगानिस्तान के मोर्चे पर तैनात वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का इस्तीफा मांगा है. लेफ्टिनेंट जनरल विलियम जेरी (रि.) ने एक इंटरव्यू में कहा कि ये पूरी तरह से व्हाइट हाउस, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का फेलियर है. हमें इस बात को स्वीकारना होगा, ये अमेरिकी राष्ट्रपति का सबसे बड़ा फेलियर है. 

विलियम जेरी ने कहा कि यही सही वक्त है जब विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और अमेरिकी सेना के प्रमुख को तुरंत अपना पद त्याग देना चाहिए. इतना ही नहीं पूर्व आर्मी अफसर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुवैलियन का भी इस्तीफा मांगा है.  

एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) अपने इस फैसले को सही करार दे रहे हैं और बार-बार कह रहे हैं कि 20 साल से चली आ रही इस जंग का खत्म होना जरूरी थी. वरना लगातार अमेरिका के सैनिकों की जान जाती रहती.

अमेरिका से इतर ब्रिटेन में भी खड़े हो रहे सवाल

एक तरफ अमेरिका अपने एक्शन को लेकर घिर रहा है, तो वहीं ब्रिटेन (Britain) भी इस तरह तालिबान के कब्जे से हैरान है. ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमियक राब के मुताबिक, इंटेलिजेंस रिपोर्ट भी में तालिबान के इतने जल्दी कब्जा करने का अंदेशा नहीं था. उम्मीद नहीं थी कि काबुल इसी साल तालिबान के कब्जे में होगा.  

ब्रिटिश सरकार ने ऐसे में आपाधापी में किए गए रेस्क्यू ऑपरेशन का बचाव किया और कहा कि जिस तरह परिस्थितियां बदल गई, उसके मुताबिक हमने बिल्कुल सही मिशन चलाया.

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गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देशों ने 14 अगस्त के बाद ही रेस्क्यू मिशन को तेजी से आगे बढ़ाया था, जब तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा बढ़ रहा था. 15 दिनों के भीतर करीब सवा लाख से अधिक लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला गया है. 

 

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