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भारत-अमेरिका के बीच इस बड़ी डील पर लगी मुहर, सेना की ताकत में होगा कई गुना इजाफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे में भारत और अमेरिका के बीच लड़ाकू विमानों के लिए GE-F414 इंजन का प्लांट भारत में लगाने की बात हुई थी. इस डील के बाद GE-F414 इंजन का निर्माण भारत में भी हो सकेगा. GE-F414 इंजन के भारत आने से वायुसेना और नौसेना के फाइटर जेट्स को ताकत मिलेगी.

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो-रॉयटर्स)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो-रॉयटर्स)

जून 2023 में पीएम मोदी के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे में अमेरिकी कंपनी GE और भारतीय कंपनी HAL के बीच हुए समझौता ज्ञापन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. जो बाइडेन सरकार ने भारत के साथ जेट इंजन ( GE-F414) तकनीकी समझौते के बारे में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को सूचित कर दिया है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से यह जानकारी 28 जुलाई को कांग्रेस को भेजी गई है और आवश्यकतानुसार 30 दिनों के बाद इस सौदे की मंजूरी दे दी जाएगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिकी संसद इस सौदे को मंजूरी दे देगी क्योंकि यह डील किसी भी तरह से अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं है. 

दोनों देशों के बीच यह डील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान हुई थी. 22 जून 2023 को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) और भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. 

बाइडेन सरकार ने अमेरिकी संसद को किया सूचित 

हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश विभाग ने HAL द्वारा बनाए जाने वाले एलसीए मार्क II विमानों के लिए भारत में GE-F414 इंजन टेक्नॉलॉजी के पूर्ण हस्तांतरण के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया है. 

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हालांकि, मोदी सरकार की ओर से इस पूरे डील पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की गई है. लेकिन GE-F 414 इंजन का इस्तेमाल LCA MK II, AMCA Mark I और ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर (टीईडीबीएफ) को पावरफुल बनाने के लिए किया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस दशक के अंत तक LCA MK II फाइटर के लिए कम से कम 100 इंजन और ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर के लिए 200 इंजनों की आवश्यकता होगी. अगर सब ठीक रहा तो डीआरडीओ की वैमानिकी विकास एजेंसी 2024 के अंत तक या 2025 की शुरुआत में एलसीए मार्क II का प्रोटोटाइप डेवलप कर लेगा. 

पीएम मोदी के अमेरिकी यात्रा के दौरान हुआ था समझौता 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2023 में तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर थे. यात्रा के अंत में दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया था, "दोनों नेताओं ने इस अभूतपूर्व को-प्रॉडक्शन और टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर प्रपोजल (सह-उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रस्ताव) की प्रगति का समर्थन करने के लिए सहयोगात्मक और तेजी से काम करने के लिए अपनी सरकारों को प्रतिबद्ध किया है."

अमेरिका पर करीबी से नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी संसद के पास इस सौदे पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए 30 दिनों का समय है और इस महीने के अंत तक इसे मंजूरी दे दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश क्वाड और इंडो-पैसिफिक में करीबी सहयोगी और साझेदार हैं, ऐसे में इस इस अधिसूचना को महज औपचारिकता के रूप में देखा जा रहा है. 

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सांकेतिक तस्वीर

क्या है GE-F414 इंजन?

अमेरिकी नौसेना अपने फाइटर जेट्स में GE-F414 इंजन का इस्तेमाल 30 सालों से कर रही है. यह जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के फाइटर जेट इंजन सूइट का हिस्सा है.

ये टर्बोफैन इंजन 22000 एलबी या 98 किलोन्यूटन की ताकत पैदा करते हैं. इसमें अत्याधुनिक फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (FADEC) लगा है. नई तकनीकों वाले कूलिंग सिस्टम से इंजन की क्षमता और उम्र बढ़ जाती है.

वायुसेना और नौसेना की बढ़ेगी ताकत

F414 इंजन के भारत आने से वायुसेना और नौसेना के फाइटर जेट्स को ताकत मिलेगी. एलसीए तेजस एमके 2 से लेकर AMCA फाइटर जेट्स को बनाने में मदद मिलेगी. भारत के लिए F414-INS6 वर्जन तैयार किया जाएगा. जो भारत के हिसाब से बनाया गया इंजन होगा. माना जा रहा है कि यह इंजन एलसीए-तेजस एमके 2 में भी लगाया जाएगा. अभी तेजस में जीई-404 - आईएन 20 इंजन लगे हैं..

अमेरिका समेत 8 देश कर रहे हैं इस्तेमाल

इस समय अमेरिका समेत 8 देश हैं जहां पर F414 इंजन का इस्तेमाल हो रहा है. ये अमेरिकी नौसेना के F/A-18E/F सुपर हॉर्नेट और EA18G ग्राउलर इलेक्ट्रॉनिक अटैक एयरक्राफ्ट में लगा है. इसके अलावा साब कंपनी के ग्रिपेन फाइटर जेट में यही इंजन लगा है. जीई का दावा है कि यह नए कोरियन प्लेटफॉर्म KF X को भी पावर दे सकता है.

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