अमेरिका में अवैध प्रवासी घोषित किए गए भारतीय नागरिकों का पहला जत्था भारत आ चुका है. अमेरिका में चुनाव के समय से ही डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध प्रवासन का मुद्दा सबसे ऊपर रखा था. वह लगातार कह रहे थे कि, उनके सत्ता में आते ही अमेरिका में अवैध तरीके से रहने वाले दूसरे देशों के नागरिकों को वापस भेज देंगे. ट्रंप ने जैसा कहा, वैसा ही किया भी लेकिन बड़े ही सख्त तरीके से. उन्होंने अवैध प्रवासियों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर अमेरिकी सेना के विमानों से उनके देश वापस भिजवाया.
अमेरिका ने जिन 104 लोगों को अवैध प्रवासी बताकर भारत भेजा, उनमें जितने भी पुरुष थे, सभी के हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर अमृतसर तक लाया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के अनुसार, औरतों और बच्चों को इस तरह से नहीं बांधा गया था.
अमेरिका का भारतीय नागरिकों को इस तरीके से वापस भेजना भारत में बड़ी बहस का मुद्दा बन गया. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर संसद में नरेंद्र मोदी सरकार को जमकर घेरा. विवाद बढ़ने पर संसद में भारत के एस जयशंकर ने भी विपक्ष के सवालों का जवाब दिया.
अमेरिकी मीडिया में भी भारतीय नागरिकों की डिपोर्टेशन प्रक्रिया पर चर्चा की जा रही है. अमेरिका के एक प्रमुख अखबार के लेख में तो यह कहा गया है कि, ट्रंप ने जिस तरह से भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा है, इससे भारत के प्रधानमंत्री का सिरदर्द बढ़ जाएगा.
न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिका के प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख छपा जिसका शीर्षक दिया गया, 'भारत में यूएस के मिलिट्री डिपोर्टेशन ने ट्रंप के सहयोगी (मोदी) की सिरदर्दी बढ़ाई.' न्यूयॉर्क टाइम्स के इस लेख में कहा गया कि, जिस तरह से अमेरिकी सेना के विमानों में भारतीय नागरिकों के हाथ-पैर बांधकर उन्हें वापस भेजा गया, उससे भारत की संसद में गुरुवार को काफी हंगामा हुआ.
लेख में कहा गया कि, भारत के लिए उसके नागरिकों का अमेरिका से डिपोर्ट किया जाना कोई नई बात नहीं है. क्योंकि काफी तादाद में भारतीय नागरिक अवैध तरह से अमेरिका में रह रहे हैं. हालांकि, इससे पहले जितने भी भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया, उनके लिए कमर्शियल विमानों का इस्तेमाल हुआ था.
न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में आगे कहा गया कि, जिस तरह से अमेरिका से भारतीय प्रवासियों को भेजा गया, इससे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक सिरदर्दी बढ़ गई है. वह भी ऐसे समय में जब वह कुछ समय बाद ही व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं.
लेख में कहा गया कि, भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा डोनाल्ड ट्रंप को अपना प्रिय मित्र बताया है. लेख में कहा गया कि, भारत सरकार के अधिकारियों को आशा थी कि जिस तरह से अवैध प्रवासियों को वापस लेने पर अमेरिका से बातचीत चल रही है, उससे भारत को मेक्सिको या कोलंबिया की तरह शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा.
न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में कहा गया कि, भारत के पंजाब राज्य के निवासी 35 वर्षीय सुखपाल सिंह भी इन्हीं अवैध प्रवासियों में से एक हैं. सुखपाल सिंह ने अखबार को फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि, रास्ते भर सभी लोगों के हाथ-पैर बांधकर रखे गए. सुखपाल सिंह ने कहा कि, हर किसी को बांधा गया था, चाहे वह पुरुष हो या महिला.
लेख में कहा गया कि, भारतीय सदन में गुरुवार को कई विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज किया. कुछ सांसद तो विरोध जताने के लिए अपने हाथ भी बांधकर आए. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में कहा कि, किसी दूसरे के सैन्य विमान को हमारी मिट्टी में उतरवाने की जगह भारत सरकार अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी के लिए विमान क्यों नहीं भेज रही है.
लेख में आगे कहा गया कि, विपक्षी नेताओं के हंगामे के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए सफाई भी दी. उन्होंने सदन में कहा कि, अवैध तरीके से रह रहे लोगों को वापस भेजने की प्रक्रिया में इस तरह से बांधकर लाया जाता है और अमेरिकी अधिकारियों ने उनसे बताया है कि, किसी भी औरत या बच्चे को नहीं बांधकर लाया गया. लेख में कहा गया कि, एस जयशंकर के बयान से यह तो पता चलता है कि, मोदी सरकार को आंतरिक विवादों को नियंत्रित करने और अवैध प्रवासन पर ट्रंप प्रशासन के सहयोग के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है.
वॉशिंगटन पोस्ट
अंग्रेजी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने एक लेख में कहा कि, अगले सप्ताह नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर आ सकते हैं. पिछले सप्ताह ही नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की बातचीत हुई थी जिसमें दोनों नेताओं ने अवैध प्रवासन के मुद्दे पर भी चर्चा की थी.
लेख में आगे कहा गया कि, पिछले साल 30 सितंबर तक 12 महीनों के भीतर अमेरिकी सेना ने 14 हजार बार भारतीयों को कनाडा बॉर्डर से अमेरिका में अवैध तरह से घुसते हुए पकड़ा है. लेख में कहा गया कि, इस दौरान अमेरिकी फोर्स ने दुनिया भर से आए जितने भी अवैध प्रवासियों को पकड़ा उनमें सिर्फ 60 फीसदी तो भारतीय ही थे. वहीं मेक्सिको बॉर्डर पर भारतीयों को अवैध घुसपैठ के लिए 25 हजार बार से ज्यादा पकड़ा जा चुका है.
लेख में आगे कहा गया कि, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया था कि, साल 2009 से अभी तक 15 हजार 668 भारतीय नागरिकों को अमेरिका अवैध प्रवासी बताकर वापस भेज चुका है.
भारत में अमेरिका दूतावास के एक प्रवक्ता ने इस मामले में बयान देते हुए कहा है कि, अमेरिका में इमिग्रेशन कानूनों को लागू करना राष्ट्रीय सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.
सीएनएन
अंग्रेजी अखबार सीएनएन के एक आर्टिकल में कहा गया कि, पिछले चार सालों में अमेरिका में अवैध तरीके से घुसने वाले भारतीयों की संख्या काफी बढ़ गई है. साल 2018-19 में यह संख्या सिर्फ 8 हजार 27 थी जो साल 2022-23 में बढ़कर 96 हजार 917 हो गई है.
आर्टिकल में कहा गया कि, युवा भारतीय काम की तलाश में अमेरिका जाना चाहते हैं और इसी वजह से अवैध तरह से घुसने वालों की संख्या अमेरिका में बढ़ती जा रही है. आर्टिकल में आगे कहा गया कि, अवैध तरीकों से आने वाले इन भारतीय नागरिकों में काफी तो अमेरिका पहुंचने के लिए लैटिन अमेरिका से होते हुए पहुंचते हैं जो बेहद खतरनाक रूट है.
आर्टिकल में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए लखबीर सिंह का एक बयान भी छापा. लखबीर सिंह ने सीएनएन को बताया कि उनके वापस आने से पूरा परिवार परेशान हो गया है. उनके परिवार ने अपनी जमीन बेचकर हजारों डॉलर खर्च करके लखबीर को अमेरिका भेजा था लेकिन कुछ ही समय में वह लौट आया.
लखबीर सिंह ने सीएनएन को बताया कि, हमारे यहां बेरोजगारी की वजह से युवा ऐसा कर रहे हैं. युवा अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं. उनके परिवार और गांव को टीवी पर न दिखाकर सरकार को उनके लिए कुछ करना चाहिए. लोगों की इन परेशानियों को हल करना चाहिए.
एनबीसी
अंग्रेजी अखबार एनबीसी ने अपने एक लेख में कहा कि, ट्रंप ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात हुई थी. फोन पर उन्होंने कहा था कि, अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने के मामले में भारत सही कदम उठाएगा.
लेख में कहा गया कि, पिछले महीने ही तत्कालीन रक्षा सचिव ने बयान में कहा था कि, अमेरिकी रक्षा विभाग 5 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सेना के विमानों से मदद करेगा. रक्षा सचिव के बयान के बाद से ही यूएस आर्मी के विमान कई बार अलग-अलग देशों तक अवैध प्रवासियों को छोड़कर आ चुके हैं.
लेख में आगे कहा कि, कुछ जगहों पर अमेरिकी सेना के विमानों का उतरना विवाद भी बन गया. कुछ दिनों पहले ही मेक्सिको ने अवैध प्रवासियों से भरे अमेरिकी सेना के एक विमान को अपने यहां लैंडिंग से रोक दिया था. कोलंबिया के राष्ट्रपति ने भी अमेरिकी सेना के विमान को नहीं आने दिया था. हालांकि, कुछ दिनों बाद जब ट्रंप ने उन्हें टैरिफ और वीजा नियमों की सख्ती की धमकी दी तो अमेरिकी शर्तों पर राजी हो गए.
एनबीसी के लेख में पंजाब सरकार में एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का भी एक बयान छापा गया. उस बयान में धालीवाल ने कहा कि, जो भारतीय अमेरिका जाते हैं, वहां उनके सिर पर गिरफ्तारी या डिपोर्टेशन की तलवार लटकी रहती है. पंजाब सरकार के मंत्री धालीवाल ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का चुनाव प्रचार में समर्थन किया, अब उन्हें इस दोस्ती के जरिए मुद्दे का हल निकालना चाहिए. अगर यह दोस्ती भारतीय नागरिकों के काम नहीं आएगी तो यह किस काम की दोस्ती.